December 17, 2025
National

राजस्थान : डीडवाना की ‘इजू बाई’ बनीं देश का गौरव, पद्मश्री मिलने पर गांव में जश्न का माहौल

Rajasthan: Iju Bai of Didwana becomes the pride of the nation, celebration erupts in the village after she receives the Padma Shri.

राजस्थान के डीडवाना जिले के छोटे से गांव केराप की सुरीली आवाज पूरी दुनिया में गूंज रही है। मांड और भजन गायिका बतूल बेगम (जिन्हें लोग प्यार से ‘इजू बाई’ कहते हैं) को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पद्मश्री से सम्मानित किया। 8 अप्रैल 2025 का यह दिन राजस्थान के लोक संगीत के इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हो गया, जब राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में उन्हें यह प्रतिष्ठित सम्मान प्रदान किया गया।

पद्मश्री मिलने के बाद जब बतूल बेगम अपने पैतृक गांव केराप पहुंचीं, तो वहां जश्न का माहौल बन गया। गांव में जनसैलाब उमड़ पड़ा। ढोल-नगाड़ों के साथ ग्रामीणों ने उनका भव्य स्वागत किया। बुजुर्गों से लेकर बच्चों तक, हर किसी की आंखों में गर्व और खुशी झलक रही थी। अपने गांव का यह अपनापन देखकर इजू बाई भावुक हो गईं।

उन्होंने कहा कि उन्हें दुनिया के बड़े-बड़े मंचों पर सम्मान मिला, लेकिन अपनी मिट्टी और अपनों के बीच मिला यह प्यार सबसे अनमोल है। जयपुर जाते समय बतूल बेगम का डीडवाना जिला कलेक्ट्रेट में भी सम्मान किया गया। जिला कलेक्टर डॉ. महेंद्र खडगावत ने उनका स्वागत किया और 19 दिसंबर को होने वाले महिला सम्मेलन कार्यक्रम में उन्हें विशेष रूप से आमंत्रित किया।

अपने संघर्ष और सफलता के सफर को याद करते हुए बतूल बेगम ने आईएएनएस से बातचीत में पेरिस की एक खास याद साझा की। उन्होंने बताया कि फ्रांस में हुए एक कार्यक्रम में जब उनकी तीन पीढ़ियां एक साथ मंच पर थीं, तो वह पल उनके जीवन का सबसे गौरवशाली क्षण था। उनके बड़े बेटे अनवर हुसैन, पोते फैजान और नाती शाहिल व फरहान ने उनके साथ तबले और गायन की जुगलबंदी की, जिसे देखकर विदेशी दर्शक भारतीय पारिवारिक कला परंपरा से मंत्रमुग्ध हो गए।

उन्होंने केंद्र सरकार और राष्ट्रपति मुर्मू को विशेष धन्यवाद दिया। बतूल बेगम आज सिर्फ राजस्थान की नहीं, बल्कि पूरे देश की सांस्कृतिक पहचान बन चुकी हैं। उन्होंने ओलंपिक 2024 और कान फिल्म फेस्टिवल जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी गायकी से भारत का नाम रोशन किया। उन्हें फ्रांस की सीनेट में ‘भारत गौरव सम्मान,’ ऑस्ट्रेलिया की संसद में सम्मान और अफ्रीका के एक ग्लोबल संगठन द्वारा भी सम्मानित किया जा चुका है।

राष्ट्रीय स्तर पर भी उनकी उपलब्धियां उल्लेखनीय हैं। वर्ष 2022 में उन्हें ‘नारी शक्ति पुरस्कार’ मिला और 2025 में जोधपुर के महाराजा गज सिंह द्वितीय ने उन्हें ‘मारवाड़ रत्न’ से नवाजा। अब तक वे 25 से अधिक देशों और चार महाद्वीपों में मांड, भजन और लोक गायन की खुशबू बिखेर चुकी हैं। केराप गांव के मंदिर में भगवान गजानंद के भजनों से शुरुआत करने वाली इजू बाई आज सरकार के हर बड़े सांस्कृतिक आयोजन का अहम हिस्सा बन चुकी हैं।

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