छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में कार्रवाई करते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की रायपुर जोनल टीम ने 16 दिसंबर को सौम्या चौरसिया को गिरफ्तार किया। यह गिरफ्तारी धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) 2002 के तहत की गई। गिरफ्तारी के बाद उन्हें रायपुर स्थित पीएमएलए की विशेष अदालत में पेश किया गया, जहां से कोर्ट ने उन्हें 19 दिसंबर तक ईडी की हिरासत में भेज दिया। ईडी ने एक प्रेस नोट जारी कर शुक्रवार को यह जानकारी दी।
ईडी ने यह जांच राज्य की एसीबी-ईओडब्ल्यू द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर शुरू की थी। एफआईआर में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) 1860 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धाराएं शामिल थीं। पुलिस की जांच में यह सामने आया था कि इस घोटाले के कारण राज्य सरकार को भारी आर्थिक नुकसान हुआ और 2,500 करोड़ रुपए से अधिक की अवैध कमाई (प्रोसीड्स ऑफ क्राइम) की गई, जिसे अलग-अलग लाभार्थियों में बांटा गया।
ईडी की जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि सौम्या चौरसिया को लगभग 115.5 करोड़ रुपए की अवैध राशि प्राप्त हुई। जांच एजेंसी के अनुसार, डिजिटल रिकॉर्ड, जब्त दस्तावेज और गवाहों के लिखित बयान यह साबित करते हैं कि वह शराब सिंडिकेट की सक्रिय सहयोगी थीं।
डिजिटल साक्ष्यों में यह भी पाया गया कि वह इस अवैध नेटवर्क की केंद्रीय समन्वयक और मध्यस्थ की भूमिका निभा रही थीं। उनका तालमेल अनिल तुतेजा और चैतन्य बघेल जैसे प्रमुख नामों से रहा, जिनके जरिए अवैध कमाई और धन शोधन का तंत्र संचालित हुआ।
बरामद चैट से यह संकेत भी मिले हैं कि सिंडिकेट की शुरुआती संरचना तैयार कराने में भी उनकी भूमिका थी। उन्होंने एक्साइज विभाग में अरुण पाटी त्रिपाठी और निरंजन दास को अहम पदों पर बैठाने में मदद की। इससे पहले, इस मामले में पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल तुतेजा, अरविंद सिंह, त्रिलोक सिंह ढिल्लन, अनवर देहर, अरुण पाटी त्रिपाठी (आईटीएस), पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा और पूर्व मुख्यमंत्री के पुत्र चैतन्य बघेल सहित कई आरोपियों को ईडी गिरफ्तार कर चुकी है।
जांच एजेंसी ईडी का कहना है कि मामले की आगे की जांच जारी है।


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