शिमला, 31 जनवरी
राज्य सरकार द्वारा हाल ही में पानी की दरों में की गई बढ़ोतरी शहर के होटल व्यवसायियों को रास नहीं आई है।
टूरिज्म इंडस्ट्री स्टेकहोल्डर्स एसोसिएशन के सदस्यों ने कहा है कि होटल व्यवसायियों से राज्य में सबसे अधिक जल शुल्क वसूला गया है। शिमला नगर निगम ने शुक्रवार को जारी एक अधिसूचना के जरिए तीन साल के अंतराल के बाद मौजूदा जल शुल्क में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी की घोषणा की थी।
एसोसिएशन के अध्यक्ष मोहिंदर सेठ ने कहा, “पानी की दरों में यह वृद्धि शिमला के 300 से अधिक होटल व्यवसायियों के लिए कमर तोड़ने वाली साबित होगी। इस बढ़ोतरी से होटल उद्योग पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा। शिमला राज्य का एकमात्र ऐसा शहर है जहां होटल उपभोक्ताओं के लिए अलग कैटेगरी बनाकर पानी का सबसे ज्यादा रेट वसूला जाता है। राज्य के अन्य सभी शहरों और पर्यटन स्थलों में शिमला की तुलना में पानी की दरें काफी कम हैं।
सेठ ने कहा, ‘फिलहाल होटलों की ऑक्युपेंसी दिन-ब-दिन कम होती जा रही है। होटलों के खर्चे बढ़ रहे हैं और होटलों में रहने वालों की संख्या कम हो रही है। यही कारण है कि होटल व्यवसायी समय पर टैक्स और पानी के बिल का भुगतान नहीं कर पा रहे हैं जिससे बकाया बढ़ता जा रहा है। कारोबार चलाना मुश्किल हो गया है।’
एसोसिएशन के अध्यक्ष ने आगे कहा, “होटल व्यवसायियों से कचरा शुल्क और संपत्ति कर लिया जाता है जो वाणिज्यिक दर से बहुत अधिक है। सबसे ज्यादा रोजगार होटल उद्योग देता है। अगर हाल ही में पानी की दरों में की गई बढ़ोतरी को वापस नहीं लिया जाता है तो हम इस मामले को मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाएंगे और उनसे अनुरोध करेंगे कि होटलों से वसूले जा रहे पानी के शुल्क, कचरा शुल्क और संपत्ति कर को युक्तिसंगत बनाया जाए ताकि होटल उद्योग जीवित रह सके और इससे उबर सके।
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