चंडीगढ़, 24 मई
सीबीआई की अदालत ने सात साल पहले सीबीआई द्वारा दर्ज रिश्वत मामले में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ), सेक्टर 17 के दो प्रवर्तन अधिकारियों विजय रावत और बछत्तर सिंह को दोषी ठहराया है।
सीबीआई ने 2015 में मोहाली की एक कंपनी मैसर्स होमलैंड बिल्डवेल (प्राइवेट) लिमिटेड के प्रतिनिधि से 2 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए आरोपी को गिरफ्तार किया था। शिकायतकर्ता जसबीर सिंह ने सीबीआई को सौंपी गई शिकायत में कहा था कि उसे श्रम मामलों पर मोहाली की एक फर्म सहित विभिन्न कंपनियों को सलाह देने का ठेका आवंटित किया गया था। विजय और बचीतर ने मोहाली स्थित निजी फर्म को एक नोटिस दिया, जिसमें सत्यापन के लिए कुछ रिकॉर्ड जमा करने का निर्देश दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारियों ने सक्षम प्राधिकारी की पूर्व स्वीकृति के बिना नोटिस जारी किया। जैसा कि वह फर्म द्वारा अधिकृत था, अधिकारियों ने उसे फोन किया और कथित तौर पर रिकॉर्ड की जाँच में कंपनी का पक्ष लेने के लिए 4 लाख रुपये की रिश्वत की मांग की।
सीबीआई ने दावा किया कि बातचीत के बाद आरोपी रिश्वत की पहली किस्त के तौर पर दो लाख रुपये लेने को राजी हो गया। सीबीआई ने जाल बिछाया और 30 नवंबर 2015 को दोनों अधिकारियों को शिकायतकर्ता से 2 लाख रुपये लेते हुए पकड़ लिया।
सीबीआई ने आरोपी के खिलाफ चार्जशीट दायर की और अदालत ने धारा 120-बी के तहत धारा 7, 13 (1) (डी) के तहत आरोप तय किए, जो भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13 (2) के तहत दंडनीय है। आरोपी ने दोषी नहीं होने की दलील दी।
लोक अभियोजक नरिंदर सिंह ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने संदेह की छाया से परे मामले को साबित कर दिया है। आरोपियों के वकील ने कहा कि उन्हें झूठे मामले में फंसाया गया है। दलीलें सुनने के बाद अदालत ने आरोपी को दोषी करार दिया और सजा सुनाने के लिए 26 मई की तारीख तय की।
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