टोक्यो, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को चीन का जिक्र करते हुए कहा कि यह चिंता का विषय है कि कोई देश पड़ोसी के साथ लिखित समझौतों का पालन नहीं करता।
टोक्यो में पहले रायसीना गोलमेज सम्मेलन में भाग लेते हुए, जयशंकर ने कहा कि इंडो-पैसिफिक इलाके के देशों की क्षमताओं, प्रभाव और महत्वाकांक्षाओं में बड़े बदलाव के राजनीतिक और रणनीतिक परिणाम हुए हैं। इस वास्तविकता को ध्यान में रखते हुए काम करना होगा।
चीन के साथ भारत के संबंधों पर उन्होंने कहा कि लगभग 45 वर्षों तक भारत-चीन सीमा पर रक्तपात नहीं हुआ, लेकिन 2020 में चीजें बदल गईं।
विदेश मेंत्री जयशंकर ने एक प्रश्न के जवाब में कहा, आज हम कई बातों पर असहमत हो सकते हैं, लेकिन जब कोई देश, किसी पड़ोसी के साथ लिखित समझौतों का पालन नहीं करता है, तो यह चिंता का कारण है।
उन्होंने स्वीकार किया कि बदलती वैश्विक परिस्थितियों में अन्य देशों के साथ भारत का संबंध भी बदल रहा है।
नई दिल्ली में एक थिंक-टैंक में हाल ही में एक इंटरैक्टिव सत्र में, जयशंकर ने कहा था कि सरकार सीमा के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है और चीन-भारत संबंधों में संतुलन होना चाहिए।
मंत्री ने संबंधों को सामान्य बनाए रखने के लिए चीन के साथ सीमा समझौतों का पालन करने और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति बनाए रखने पर जोर दिया।
मंत्री की टिप्पणी भारत-चीन कोर कमांडर स्तर की बैठक के 21वें दौर के हफ्तों बाद आई है। इसमें पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ शेष सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता पर जोर दिया गया।
विदेश मंत्रालय की एक विज्ञप्ति के अनुसार, दोनों पक्ष सैन्य और राजनयिक तंत्र के माध्यम से संपर्क बनाए रखने पर सहमत हुए और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति के लिए भी प्रतिबद्धता जताई।
गौरतलब है कि 5 मई, 2020 को पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद दोनों एशियाई दिग्गजों के बीच सीमा पर तनाव बहुत अधिक हो गया था।
Leave feedback about this