लखनऊ, 9 मार्च । लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की पहली सूची जारी हो चुकी है, जिसमें राहुल गांधी को वायनाड से उम्मीदवार घोषित किया गया है। हालांकि, कांग्रेस ने अमेठी सीट को लेकर अभी पत्ते नहीं खोले हैं। ऐसे में वायनाड से राहुल गांधी का टिकट फाइनल होने के बाद यूपी की इस लोकसभा सीट को लेकर संशय बना हुआ है।
राजनीतिक पंडितों की मानें तो राहुल गांधी के लिए केरल की वायनाड सीट काफी सेफ है। ऐसे में वह साल 2019 की तरह फिर एक बार अमेठी से भी चुनाव लड़ सकते हैं। अमेठी लोकसभा सीट पर कांग्रेस का ही कब्जा रहा है। लेकिन, 2019 में इस सीट पर भाजपा ने बड़ा उटलफेर करके राहुल गांधी को हरा दिया था। यहां से स्मृति ईरानी सांसद चुनी गई थीं।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी की मजबूती के लिए राहुल गांधी को अमेठी और प्रियंका गांधी को रायबरेली से चुनाव लड़ना चाहिए, तभी पार्टी को मजबूती मिलेगी। लेकिन, अभी तक इन दोनों सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा नहीं हुई है। ज्यादा देरी से भी मामला बिगड़ सकता है। क्योंकि सत्तारूढ़ दल लगातार प्रचार में आक्रामक हो रहा है। खासकर अमेठी में तो उनकी तैयारी ज्यादा तेज है। हाईकमान को इस पर शीघ्र फैसला लेना चाहिए। संशय जैसे हालात रखना ठीक नहीं है।
कांग्रेस के जिला अध्यक्ष प्रदीप सिंहल का कहना है कि अमेठी के लोग चाहते हैं कि हमारे वरिष्ठ नेता राहुल गांधी यहां से चुनाव लडे़ं। उसी हिसाब से तैयारी भी कर रहे हैं। लेकिन, केंद्रीय नेतृत्व जिसे भी टिकट देगा, उसके साथ पूरा संगठन पूरे मन से काम करेगा।
केंद्रीय मंत्री और अमेठी से भाजपा उम्मीदवार स्मृति ईरानी ने एक सभा के दौरान कहा था कि मुझे फिलहाल यह नहीं मालूम है कि कौन चुनाव लड़ेगा, लेकिन जिस तरीके से कांग्रेस के लोग यहां से प्रत्याशी घोषित करने का साहस नहीं जुटा पा रहे हैं, उससे प्रतीत होता है कि उन्हें अमेठी की शक्ति और पराजय का डर सता रहा है। यही उनकी हार के स्पष्ट संकेत हैं।
भाजपा के प्रवक्ता आनंद दुबे का कहना है कि राहुल गांधी पूरी तरह से डरे हुए हैं। पिछले चुनाव में अमेठी की जनता ने उनका बोरिया बिस्तर बांध दिया था। गांधी परिवार को अमेठी से किए धोखेबाजी की सजा दी। इस बार तो अमेठी के साथ रायबरेली से भी कांग्रेस को उखाड़ फेंकने के लिए लोग तैयार हैं। जिस प्रकार से कांग्रेस टूट रही है, ऐसे में लग रहा है कि वायनाड की जनता भी उन्हें टाटा, बाय-बाय करने जा रही है। अगर यही हाल रहे तो उन्हें भारत में नहीं इटली की किसी सीट से चुनाव लड़ना पड़ेगा।
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक तारकेश्वर मिश्रा कहते हैं कि अमेठी और रायबरेली गांधी परिवार का गढ़ रहा है। लेकिन, इस बार इनकी शिथिलता के कारण कार्यकर्ता सुस्त हैं। हालांकि, चुनाव में अभी समय बहुत है। कांग्रेस को इन दोनों सीटों पर अपने परिवार के सदस्यों को उतारने पर ही फायदा मिलने की संभावना ज्यादा है। सत्ता पक्ष की तैयारी काफी तेज है। इन दोनों सीटों पर लड़ाई इतनी आसान नहीं है। कांग्रेस को काफी मशक्कत भी करनी पड़ सकती है।
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