कोलकाता, 18 मार्च । भारतीय निर्वाचन आयोग ने सोमवार को राजीव कुमार को पश्चिम बंगाल पुलिस के कार्यवाहक महानिदेशक की कुर्सी से हटाने का आदेश दिया।
इस संबंध में एक सूचना राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) के कार्यालय के साथ-साथ राज्य सचिवालय को भी भेजी गई है। सीईओ कार्यालय के एक अंदरूनी सूत्र ने कहा, “ईसीआई ने राजीव कुमार के विकल्प के तौर पर तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के नाम माँगे हैं। प्रस्तावित नाम सोमवार शाम पाँच बजे तक नई दिल्ली स्थित आयोग के मुख्यालय में भेजने के लिए कहा गया है।“
सूत्रों ने बताया कि आयोग ने राजीव कुमार को कुर्सी से हटाने के साथ ही यह भी कहा है कि वह आगामी लोकसभा चुनाव की किसी भी प्रक्रिया में शामिल नहीं हो सकते।
कार्यवाहक डीजीपी को कुर्सी सँभालने के महज तीन महीने के भीतर ही हटा दिया गया है।
याद दिला दें कि कुमार का नाम पहले भी कई बार विवादों में आ चुका है। सारदा चिट-फंड घोटाले में वह केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की जाँच के घेरे में हैं।
वर्ष 2016 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा उन्हें दो बार कोलकाता पुलिस के तत्कालीन आयुक्त के रूप में प्रतिस्थापित किया गया था। हालाँकि, चुनाव के बाद राज्य सरकार ने उन्हें फिर उसी पद पर बहाल कर दिया था।
सूत्रों ने बताया कि आयोग के शीर्ष अधिकारियों की हालिया पश्चिम बंगाल यात्रा के दौरान लगभग सभी विपक्षी दलों ने कुमार के खिलाफ शिकायत की थी और उन पर पारदर्शी तरीके से काम नहीं करने का आरोप लगाया है।
उन्हें कुर्सी से हटाए जाने की जानकारी सामने आने के बाद विपक्षी दलों ने इस कदम का स्वागत किया है। भाजपा के राज्यसभा सदस्य समिक भट्टाचार्य ने कहा, “कुमार के पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए उन्हें कुर्सी से हटाना अपरिहार्य था। इसकी जानकारी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी थी, लेकिन फिर भी उन्होंने शायद कुछ ध्यान में रखते हुए उन्हें नियुक्त किया।”
माकपा की केंद्रीय समिति के सदस्य सुजन चक्रवर्ती ने कहा, “अन्यथा एक कुशल पुलिस अधिकारी माने जाने वाले राजीव कुमार के लिए मेरा सिर्फ एक सवाल है। किस बात ने उन्हें इस स्तर तक गिरने पर मजबूर कर दिया कि उनकी छवि बार-बार धूमिल हुई। लेकिन ऐसा लगता है कि उन्होंने इससे कोई सबक नहीं लिया है।”
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