कोलकाता, 15 अप्रैल । पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव बी.पी. गोपालिका ने सोमवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय को सूचित किया कि आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) ने तापस बर्मन और राजेश सरकार की हत्याओं की जांच से संबंधित सभी दस्तावेज राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दिए हैं।
दोनों डैरिविट हाई स्कूल के पूर्व छात्र थे। सितंबर 2018 में उनकी हत्या कर दी गई थी। राज्य की गृह सचिव नंदिनी चक्रवर्ती और सीआईडी के अतिरिक्त महानिदेशक डॉ. आर राजशेखरन के साथ मुख्य सचिव गोपालिका सोमवार दोपहर न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा की एकल-न्यायाधीश पीठ के सामने वर्चुअली उपस्थित हुए।
मुख्य सचिव ने जांच संबंधी दस्तावेज एनआईए को सौंपने की जानकारी अदालत को दी। उल्लेखनीय है कि 12 अप्रैल को न्यायमूर्ति मंथा ने सबसे पहले मुख्य सचिव, गृह सचिव और एडीजी (सीआईडी) को उनकी बेंच के सामने सशरीर उपस्थित होने का निर्देश दिया ।
न्यायमूर्ति मंथा ने उपस्थित नहीं होने पर उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने की भी चेतावनी दी। हालांकि, राज्य के महाधिवक्ता किशोर दत्ता की याचिका के बाद न्यायमूर्ति मंथा ने अपने आदेश में आंशिक रूप से संशोधन किया, और दोनों नौकरशाहों तथा पुलिस अधिकारी को वर्चुअली उपस्थित होने की अनुमति दी।
न्यायमूर्ति मंथा ने सोमवार को कहा कि राज्य के शीर्ष प्रशासनिक अधिकारी होने के बावजूद, अदालत के उस आदेश का सम्मान करना उनका कर्तव्य है जिसमें उन्हें उपस्थित होने के लिए कहा गया है। उन्होंने यह भी कहा कि यह “न्यायपालिका की कुर्सी की गरिमा” का सवाल है।
इस महीने की शुरुआत में, कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, टी.एस. शिवगणनम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने डैरिविट हत्याओं में एनआईए जांच के लिए न्यायमूर्ति मंथा के पहले के आदेश को बरकरार रखा था।
न्यायमूर्ति मंथा ने एनआईए को जांच सौंपने और पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने के मई 2023 में उनकी पीठ के आदेश का अनुपालन न करने के लिए मुख्य सचिव, गृह सचिव और एडीजी (सीआईडी) के खिलाफ “अदालत की अवमानना” नियम जारी किया।
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