नई दिल्ली, 6 मई । दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस से स्कूलों में बम की धमकियों से निपटने के लिए उनकी तैयारियों और योजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी मांगी।
न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद पिछले साल मथुरा रोड पर स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल को बम की धमकी का एक ईमेल प्राप्त होने के बाद वकील व अभिभावक अर्पित भार्गव की याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। हालांकि यह यह धमकी छात्रों की शरारत निकली थी।
भार्गव ने हाल ही में कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। इसमें पिछले साल स्कूलों में बम धमकी की पांच घटनाओं में से तीन की जांच और समाधान में देरी का दावा किया था।
पिछले सप्ताह, आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर 112 पर सुबह 5.47 बजे से दोपहर 2.13 बजे के बीच विभिन्न स्कूलों से बम धमकी की 125 शिकायतें प्राप्त हुईं।
भार्गव ने अपनी याचिका में बम धमकियों से निपटने के लिए स्कूली बच्चों, शिक्षकों और कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक समन्वित कार्य योजना की कमी का दावा किया है।
न्यायमूर्ति प्रसाद ने ऐसे खतरों से निपटने के लिए नियुक्त किए गए नोडल अधिकारियों की विशिष्ट भूमिकाओं, आयोजित मॉक ड्रिल की संख्या और विभिन्न क्षेत्रों में तैयारियों के उपायों के बारे में सरकार व पुलिस से जानकारी मांगी।
अदालत ने अधिकारियों को इस मामले पर जारी परिपत्रों का विवरण देते हुए हलफनामा दाखिल करने के लिए 10 दिन का समय दिया है।
दिल्ली सरकार के वकील संतोष कुमार त्रिपाठी ने अदालत को बताया कि पुलिस के पास फर्जी और वास्तविक दोनों खतरों से निपटने के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) है।
हालांकि, न्यायमूर्ति प्रसाद ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि ये एसओपी बहुत सामान्यीकृत हो सकते हैं, इन्हें स्कूलों की विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप होना चाहिए।
अदालत ने मॉक ड्रिल के दौरान बच्चों के माता-पिता को शामिल करने और यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया कि प्रत्येक स्कूल के पास एक मजबूत और पूर्वाभ्यास निकासी योजना हो।
मामले की अगली सुनवाई 16 मई को होगी।
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