N1Live Uttar Pradesh नमामि गंगे की बैठक में आगरा के लिए बड़ी सौगात, 126 करोड़ की सीवेज प्रबंधन परियोजना को मंजूरी
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नमामि गंगे की बैठक में आगरा के लिए बड़ी सौगात, 126 करोड़ की सीवेज प्रबंधन परियोजना को मंजूरी

A big gift for Agra in the Namami Gange meeting, 126 crore sewage management project approved

लखनऊ/नई दिल्ली, 23 मई । गंगा और उसकी सहायक नदियों के पुनर्जीवन की दिशा में एक ठोस और समग्र पहल के तहत राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की 63वीं कार्यकारी समिति की बैठक आयोजित की गई। बैठक का मुख्य विषय स्थिरता और नवाचार था, जो मिशन के मूल उद्देश्यों जैसे जल गुणवत्ता सुधार, सतत शहरी जल प्रबंधन और गंगा घाटी के पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली से जुड़ा हुआ है।

इस अवसर पर कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं को मंजूरी दी गई, जिनमें वैज्ञानिक अध्ययन, तकनीकी समाधान और पुनर्जीवन योजनाएं शामिल थीं। इन परियोजनाओं का उद्देश्य न केवल तत्काल सुधार लाना है, बल्कि दीर्घकालिक प्रभाव सुनिश्चित करना भी है, जिससे नदियों और जलाशयों का अस्तित्व आने वाली पीढ़ियों तक सुरक्षित रह सके।

उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक शहर आगरा के लिए एक महत्वाकांक्षी सीवेज प्रबंधन परियोजना को हाल ही में 126.41 करोड़ रुपए की मंजूरी मिली है। यह परियोजना शहर के जल स्रोतों की सफाई और संरक्षण के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण में आने वाले दशकों तक अहम भूमिका निभाएगी। परियोजना के तहत 40 इंटरसेप्शन और डायवर्जन संरचनाओं का निर्माण किया जाएगा, जो शहर के सीवेज नेटवर्क को प्रभावी रूप से संचालित करने में मदद करेंगी। इसके अतिरिक्त, 21.20 किलोमीटर लंबी इंटरसेप्शन और डायवर्जन सीवर लाइन बिछाई जाएगी, जो विभिन्न हिस्सों से सीवेज जल का समुचित प्रबंधन सुनिश्चित करेगी।

आधुनिक तकनीकों से लैस इस परियोजना में 8 अत्याधुनिक पंपिंग स्टेशन स्थापित किए जाएंगे, जो सीवेज जल के प्रवाह को नियंत्रित कर त्वरित परिवहन सुनिश्चित करेंगे। साथ ही, 5 मुख्य नालों में प्रभावी ट्रैश स्क्रीन लगाई जाएंगी, जो प्रदूषकों और कचरे को रोककर जल स्रोतों की सुरक्षा करेंगी।

यह परियोजना डिज़ाइन-बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर मॉडल पर आधारित है, जो तकनीकी और प्रबंधन दोनों दृष्टियों से स्थायी और प्रभावी समाधान प्रदान करेगी। इससे न केवल आगरा का पर्यावरण स्वच्छ और स्वस्थ रहेगा, बल्कि शहरवासियों की जीवन गुणवत्ता में भी सुधार होगा।

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने घाघरा और गोमती नदी बेसिनों में पर्यावरणीय प्रवाह के मूल्यांकन के लिए एक महत्वपूर्ण परियोजना को मंजूरी दी है, जिसके लिए लगभग 8 करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया गया है। इस परियोजना में मौसम के विभिन्न चरणों में यूएवी (ड्रोन) और स्थल निगरानी की मदद से नदियों के पारिस्थितिकी तंत्र का विस्तृत डेटाबेस तैयार किया जाएगा। इसमें जल की गुणवत्ता, जल प्रवाह, वनस्पति और जीव-जंतुओं की विविधता के साथ-साथ स्थानीय सामाजिक पहलुओं का भी समावेश होगा, जिससे नदियों और उनके आसपास के पर्यावरण की स्थिति की गहन समझ मिलेगी।

संग्रहित डेटा का उपयोग जलवायु परिवर्तन, भूमि उपयोग और आवरण के बदलावों को ध्यान में रखते हुए, मानव जल मांग और नदी पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण के लिए किया जाएगा। विभिन्न मॉडलों के माध्यम से सही प्रबंधन विकल्प चुने जाएंगे और उनकी निरंतर समीक्षा व सुधार सुनिश्चित किया जाएगा।

यह परियोजना प्रवाह जलविज्ञान, पारिस्थितिकी तंत्र और प्रवाह शासन के बीच संबंधों को समझने में मदद करेगी, जिससे घाघरा और गोमती नदी बेसिन के लिए आवश्यक जल प्रवाह का सही आकलन होगा और नदियों के सतत संरक्षण के लिए सर्वोत्तम प्रबंधन पद्धतियां विकसित होंगी। आगामी तीन वर्षों में यह परियोजना नदियों के स्थायी और अनुकूलनशील प्रवाह प्रबंधन का मार्ग प्रशस्त करेगी।

बैठक में देश में ऑन-साइट सीवेज ट्रीटमेंट की गुणवत्ता और स्थिरता को सशक्त बनाने के लिए जोहकासो तकनीक आधारित घरेलू अपशिष्ट जल उपचार परियोजना को भी हरी झंडी दी गई। इस पहल का उद्देश्य घरेलू स्तर पर अपशिष्ट जल के बेहतर प्रबंधन के लिए नए मानक स्थापित करना है। आने वाले 12 महीनों में इस परियोजना के माध्यम से जल उपचार की गुणवत्ता में सुधार के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण में ठोस कदम उठाए जाएंगे।

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