N1Live National पिता-पुत्र के बीच ‘कोल्ड वॉर’, राज्यसभा सीट को लेकर मांझी के बयान से संतोष सुमन ने बनाई दूरी
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पिता-पुत्र के बीच ‘कोल्ड वॉर’, राज्यसभा सीट को लेकर मांझी के बयान से संतोष सुमन ने बनाई दूरी

A cold war erupts between father and son, with Santosh Suman distancing himself from Manjhi's statement regarding the Rajya Sabha seat.

केंद्रीय मंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के संरक्षक जीतन राम मांझी द्वारा भाजपा से राज्यसभा सीट की मांग को लेकर दिए गए बयान से उनके बेटे और हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष कुमार सुमन ने सार्वजनिक रूप से दूरी बना ली है।

इससे पहले जीतन राम मांझी ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा था कि यदि आगामी चुनाव में भाजपा उनकी पार्टी को राज्यसभा सीट नहीं देती है तो हम को एनडीए गठबंधन छोड़ने पर विचार करना चाहिए। मांझी का दावा था कि लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने उनकी पार्टी को राज्यसभा सीट देने का वादा किया था, लेकिन बाद में उस पर अमल नहीं किया गया।

हालांकि, अपने पिता के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए संतोष कुमार सुमन ने सार्वजनिक मंच पर इस तरह की मांग को अनुचित बताया। शुक्रवार को मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, “राज्यसभा की सीट इतनी आसानी से नहीं मिल जाती।”

उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्यसभा सीट का मुद्दा कोई बड़ा विषय नहीं है और ऐसे मामलों का समाधान गठबंधन के भीतर आपसी समझ और आंतरिक बातचीत के जरिए किया जाता है। संतोष सुमन ने कहा कि सीट बंटवारे जैसे फैसले किसी एक व्यक्ति के बयान के आधार पर नहीं होते, बल्कि गठबंधन सहयोगियों की सामूहिक सहमति से तय किए जाते हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह के मुद्दों को सार्वजनिक रूप से या मीडिया के सामने नहीं लाया जाना चाहिए। एनडीए की मजबूती पर जोर देते हुए संतोष सुमन ने कहा कि बूथ स्तर पर गठबंधन सहयोगियों के बीच बेहतर तालमेल ही विधानसभा चुनावों में सफलता का मुख्य कारण रहा है।

जीतन राम मांझी और संतोष कुमार सुमन के बयानों में आए इस अंतर ने एक बार फिर राजनीतिक हलकों में चर्चाओं को तेज कर दिया है। हम के भीतर, खासकर पिता-पुत्र के बीच, मतभेद या ‘कोल्ड वॉर’ की अटकलें लगाई जा रही हैं। इससे पहले भी बिहार विधानसभा चुनावों के दौरान ऐसे मतभेद सामने आने की खबरें आई थीं।

ताजा घटनाक्रम ने इन राजनीतिक चर्चाओं को और हवा दे दी है। अब राजनीतिक विश्लेषकों की नजर इस बात पर टिकी है कि हम नेतृत्व आंतरिक मतभेदों को किस तरह संभालता है और साथ ही एनडीए गठबंधन में अपनी स्थिति को कैसे बनाए रखता है।

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