अपने घरों को लौट चुके ग्रामीण यह देखकर स्तब्ध हैं कि बाढ़ का पानी तो उतर गया है, लेकिन उनके घर इतनी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं कि उन्हें अपने घरों के जीर्णोद्धार के लिए फिर से आढ़तियों से अत्यधिक ब्याज दर पर पैसा लेना पड़ेगा।
लासियां गाँव के लखविंदर सिंह ने पूछा, “अब तो यह बहुत डरावना लग रहा है। हम पहले से ही कर्ज़ में डूबे हुए हैं। अगर हम और कर्ज़ लेंगे तो हमारा क्या होगा कुछ राहत और पुनर्वास प्रयास चल रहे हैं, लेकिन ग्रामीणों को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें उनके घरों को व्यापक क्षति, स्वास्थ्य जोखिम और अपर्याप्त सहायता शामिल है।
“मेरा घर अब कभी पहले जैसा नहीं रहेगा। कल शाम जब मैं अपने परिवार के साथ गुरदासपुर शहर में अपने रिश्तेदारों के साथ कुछ दिन बिताकर लौटा, तो मैंने जो देखा उस पर मुझे यकीन नहीं हुआ। यह वो घर नहीं था जिसे हम छोड़कर आए थे। मेरे एक दर्जन मवेशी मर चुके थे। चारा बर्बाद हो चुका था।
सालों की कड़ी मेहनत और संघर्ष के बाद हमने जो सामान और महंगी चीज़ें इकट्ठी की थीं, वे बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई हैं। मुझे बस बदबू, कीचड़ और टूटा हुआ घर दिखाई दे रहा है। कल मैंने अपने साहूकार से पैसे मांगे। उसने 24 प्रतिशत की भारी-भरकम वार्षिक ब्याज दर बताई। उसने मुझे रूखेपन से कहा, “या तो लो या छोड़ दो।”
यह वही इलाका है जहाँ सोमवार को राहुल गांधी आए थे। उन्होंने आगे कहा, “वे आए, लेकिन कुछ नहीं दिया। उनके साथ कुछ फ़ोटोग्राफ़र भी थे।”
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