February 21, 2025
National

दिल्ली की एक अदालत ने अमानतुल्लाह खान की न्यायिक हिरासत 7 अक्टूबर तक बढ़ाई

A Delhi court extended the judicial custody of Amanatullah Khan till October 7.

नई दिल्ली, 23 सितंबर । दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को दिल्ली वक्फ बोर्ड से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आदमी पार्टी (आप) के विधायक अमानतुल्लाह खान की न्यायिक हिरासत 7 अक्टूबर तक के लिए बढ़ा दी है।

राउज एवेन्यू कोर्ट ने दिल्ली के ओखला से आप विधायक को न्यायिक हिरासत में अपना मेडिकल रिकॉर्ड साथ रखने की इजाजत दे दी। इसके अलावा, कोर्ट ने तिहाड़ जेल में इलेक्ट्रिक केतली और ग्लूकोज मॉनिटरिंग डिवाइस ले जाने की इजाजत मांगने वाले अमानतुल्ला खान के आवेदन पर जेल अधिकारियों से जवाब मांगा है। खान के आवेदन पर अगली सुनवाई 25 सितंबर को होगी।

पिछले हफ्ते, दिल्ली हाईकोर्ट ने अमानतुल्लाह खान की याचिका पर नोटिस जारी किया था, जिसमें उन्होंने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी द्वारा अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी थी। मामले की सुनवाई 18 अक्टूबर को तय करते हुए जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की बेंच ने एजेंसी को खान की याचिका पर दो हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा था।

कथित घोटाले के मुख्य आरोपी अमानतुल्लाह खान को ईडी ने 2 सितंबर को उनके आवास पर छापेमारी के बाद गिरफ्तार किया था। यह छापेमारी धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत की गई थी। वह सात दिनों की ईडी हिरासत में रहे। उनकी हिरासत 9 सितंबर को खत्म हो गई थी। इसके बाद कोर्ट ने उनकी न्यायिक हिरासत 14 दिन बढ़ाते हुए उन्हें 23 सितंबर तक के लिए जेल भेज दिया था। अब कोर्ट ने उनकी न्यायिक हिरासत 7 अक्टूबर तक के लिए बढ़ा दी है।

खान को इससे पहले अप्रैल में इसी मामले के सिलसिले में ईडी ने गिरफ्तार किया था, लेकिन दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी थी।

खान के खिलाफ ईडी की शिकायत दिल्ली वक्फ बोर्ड में अवैध कर्मचारियों की भर्ती और उसके बाद अपने सहयोगियों के नाम पर संपत्ति खरीदने के लिए धन के दुरुपयोग के आरोपों पर केंद्रित है।

यह मामला नवंबर 2016 का है, जब खान के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई थी। उस समय खान वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष थे। शिकायत में उन पर बोर्ड में विभिन्न स्वीकृत एवं गैर-स्वीकृत पदों पर अवैध नियुक्तियां करने का आरोप लगाया गया था।

सीबीआई जांच के बाद यह पता चला कि खान ने जानबूझकर नियमों को नजरअंदाज करते हुए अपने करीबी सहयोगियों की नियुक्ति की थी। सीबीआई ने एक केस दर्ज किया, जिसे बाद में धन शोधन की जांच के लिए ईडी ने अपने हाथ में ले लिया।

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