सिरसा जिले के डबवाली उपमंडल के रामपुरिया बिश्नोइयां गांव के बाहर एक छोटी नहर में बुधवार सुबह एक चार वर्षीय बच्ची का शव मिला। बच्ची का अपहरण एक दिन पहले ही हुआ था। पुलिस ने उसी दिन मुख्य आरोपी संजय को गिरफ्तार कर लिया। हत्या का मकसद और यौन उत्पीड़न की घटना की पुष्टि अभी तक नहीं हो पाई है।
नूर नाम की यह बच्ची अपने माता-पिता दीपक और पूजा की इकलौती संतान थी। दीपक एक मजदूर है। पीड़िता का परिवार, जिसमें दादा-दादी भी शामिल हैं, दिहाड़ी मजदूरी पर निर्भर है। नूर का शव मिलने से पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई और रिश्तेदार गहरे सदमे में हैं। आक्रोशित ग्रामीणों ने शुरू में आरोपियों की गिरफ्तारी तक पीड़िता का अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया था।
परिवार वालों ने संजय पर, उसके पड़ोसियों प्रेम कुमार और राजेश कुमार के साथ मिलकर, अपनी बेटी की हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया।
परिवार के अनुसार, मंगलवार को नूर अपने घर के बाहर खेल रही थी, तभी एक 14 वर्षीय पड़ोसी ने उसे कुछ देने के बहाने बहला-फुसलाकर अपने साथ ले गया। पास में लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज से पता चला कि लड़का अपने चाचा संजय के साथ था, जो खेओवाली गांव का निवासी है। जब नूर घर नहीं लौटी, तो उसकी दादी ने उसकी तलाश शुरू की और ग्रामीणों ने पुलिस को सूचना दी।
डीएसपी (मुख्यालय) कपिल अहलावत और सदर पुलिस स्टेशन के प्रभारी शैलेंद्र कुमार के नेतृत्व में पुलिस ने रात भर तलाशी अभियान चलाया। क्राइम ब्रांच, साइबर सेल, डॉग स्क्वाड और कमांडो टीमों सहित कम से कम 200 पुलिसकर्मियों को गांव और उसके आसपास तैनात किया गया था।
पुलिस अधीक्षक (एसपी) निकिता खट्टर ने बताया कि नूर का शव एक छोटी नहर से बरामद किया गया और पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। एसपी ने कहा, “संजय को गिरफ्तार कर लिया गया है और उससे पूछताछ की जा रही है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से मौत का सही कारण पता चलेगा और यह भी पुष्टि होगी कि क्या यौन उत्पीड़न हुआ था।”
इसी बीच, जननायक जनता पार्टी के युवा प्रदेश अध्यक्ष दिग्विजय सिंह चौटाला ने इस घटना की निंदा करते हुए इसे पुलिस की लापरवाही और प्रशासनिक असंवेदनशीलता का परिणाम बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि परिवार द्वारा समय पर शिकायत दर्ज कराने और वीडियो फुटेज उपलब्ध कराने के बावजूद अधिकारियों ने तुरंत कार्रवाई नहीं की, जिसके कारण लड़की की मृत्यु हो गई।

