March 12, 2025
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कोलंबो में ‘मैत्री उत्सव’ में दिखी भारत-श्रीलंका की साझा संस्कृति की झलक

A glimpse of the shared culture of India and Sri Lanka seen in ‘Friendship Festival’ in Colombo

 

कोलंबो, कोलंबो के आइकॉनिक ‘इंडिपेंडेंस स्क्वायर’ पर चार दिवसीय ‘भारत श्रीलंका मैत्री उत्सव’ मनाया जा रहा है। भारत के 78वें स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित इस उत्सव का उद्देश्य दोनों देशों की साझा संस्कृति का जश्न मनाने के साथ ही आपसी सांस्कृतिक संबंधों को और गहरा करना है।

श्रीलंका में भारत के उच्चायोग संतोष झा और श्रीलंका के बुद्धशासन, धार्मिक और सांस्कृतिक मामलों के मंत्री विदुर विक्रमनायक ने संयुक्त रूप से गुरुवार देर रात ‘भारत-लंका मैत्री कार्निवल’ का उद्घाटन किया। यहां भारतीय उच्चायोग और उसकी सांस्कृतिक शाखा स्वामी विवेकानंद कल्चरल सेंटर ने गुरुवार को स्वतंत्रता दिवस मनाया।

मैत्री उत्सव में भारतीय और श्रीलंकाई शिल्पियों के हस्तशिल्प की प्रदर्शनी, दोनों देशों के विविध कलाकारों के समूहों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियां और ओपन माइक इवनिंग शामिल है। ओपन माइक इवनिंग में विश्वविद्यालय और स्कूलों की छात्र-छात्राएं अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर सकती हैं।

कोलंबो स्थित भारतीय उच्चायोग ने शुक्रवार को बताया, “इसके अतिरिक्त एक फूड फेस्टिवल का भी आयोजन किया जा रहा है जिसमें लोग भारत और श्रीलंका के विभिन्न व्यंजनों का स्वाद चख सकेंगे। किताबों के स्टॉल और विभिन्न प्रकार की गतिविधियों तथा प्रदर्शनियों का भी आयोजन किया जाएगा।”

हस्तशिल्प मेले में उत्तर प्रदेश के कलाकार स्टोन क्राफ्ट, दरी और गुलाबी मीनाकारी का तथा आंध्र प्रदेश के कलाकार नरसापुर क्रोशिया लेस और पेन कलमकारी का प्रदर्शन कर रहे हैं।

कोलंबो के विभिन्न स्कूलों के छात्रों ने शुक्रवार को इंडिपेंडेंस स्क्वायर पर एक क्विज प्रतियोगिता में हिस्सा लिया जो दोनों देशों की साझा सांस्कृतिक विरासत पर आधारित था।

आयोजन के अगले दो दिन आर्ट और सिंगिंग प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जाएगा।

इससे पहले भारतीय उच्चायोग ने कोलंबो पब्लिक लाइब्रेरी में ‘भारत कोश’ का उद्घाटन किया। उन्होंने इस मौके पर दोनों देशों के बीच जीवंत सांस्कृतिक, साहित्यिक एवं कलात्मक आदान-प्रदान को रेखांकित किया।

‘भारत कोश’ में भारतीय लेखकों की भारत के बारे में चुनिंदा किताबों का संग्रह है। ये किताबें कलाकृतियों और सांस्कृतिक धरोहरों के बारे में हैं, जिनमें भारत और श्रीलंका के ऐतिहासिक तथा सांस्कृतिक संबंधों का उल्लेख है।

 

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