महाकुंभ नगर, 24 दिसंबर । प्रयागराज में साल 2025 में 13 जनवरी से 25 जनवरी तक चलने वाले महाकुंभ में अखाड़ों की अहम भूमिका है। मेला क्षेत्र में शिविर लगाने से पहले सभी 13 अखाड़ों की तरफ से धर्म ध्वजा की स्थापना की जा रही है। इसके साथ ही भव्य छावनी प्रवेश के साथ अखाड़ों के लिए कुंभ की औपचारिक शुरुआत हो रही है।
कुंभ मेले में भागीदारी के लिए अखाड़ों की पेशवाई की भव्यता लोगों को मुग्ध कर रही है। एक अलग ही आध्यात्मिक अनुभूति के दर्शन हो रहे हैं। ऐसे में नैनी के मडौका आश्रम से पंचदशनाम आवाहन अखाड़े की पेशवाई के दौरान भव्य नजारा देखने के लिए मिला। पंचदशनाम आवाहन अखाड़े की पेशवाई पूरी तैयारी और सनातन की भव्यता को प्रदर्शित करते हुए निकली। जहां बैंड बाजों और डीजे के साथ भक्ति रस से सराबोर माहौल के बीच साधु-संत पेशवाई में शामिल हुए।
पंचदशनाम आवाहन अखाड़ा ने त्रिवेणी मार्ग से प्रवेश किया। इस दौरान बग्गी और घोड़ों पर सवार संत और उनके अनुयायियों ने यात्रा की शोभा को बढ़ाया। इसके बाद वह नया रीवा मार्ग से लेप्रोसी मिशन चौराहा होते हुए नया यमुना पुल से त्रिवेणी मार्ग के जरिए फोर्ट रोड चौराहा, त्रिवेणी मार्ग से अखाड़ा शिविर पहुंचें। इसके साथ ही अखाड़े का शिविर प्रवेश सम्पन्न हुआ।
इस मौके पर संतों का स्वागत लोगों ने भी फूल माला से किया। रास्ते में पुष्पवर्षा करके लोगों ने संतों का स्वागत करते हुए उनका आर्शीवाद प्राप्त किया। इस दौरान नागा साधु भी झूमते हुए नजर आए जो ढोल-नगाड़ों के साथ फूल-मालाओं से लदकर आगे बढ़ रहे थे। नागा साधु घोड़े और ऊंट पर सवार थे। पुलिस व्यवस्था भी पूरी तरह मौजूद रही।
अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अरुण गिरी जी ने इस अवसर पर कहा कि उनके अखाड़े का मूल उद्देश्य सनातन का प्रचार-प्रसार और धर्म की रक्षा करना है। लेकिन, वर्तमान समय में सृष्टि के सामने सबसे बड़ा संकट पर्यावरण की रक्षा का है। इसके लिए वह ‘वृक्ष लगाओ, सृष्टि बचाओ’ महाअभियान के अंतर्गत श्रद्धालुओं और सनातनियों से वृक्ष लगाने का संकल्प ले रहे हैं। वह स्वयं महाकुंभ में इस बार अखाड़े में आने वाले भक्तों को प्रसाद के रूप में 51 हजार फलदार पौधे दे रहे हैं। अखाड़े के शिविर में धरा की रक्षा के लिए भी विविध आयोजन किए जाएंगे।
वहीं, महाकुंभ को लेकर संतों में भी गजब का उत्साह दिख रहा है। देश-दुनिया से श्रद्धालुओं और साधु-संतों के पहुंचने का सिलसिला भी शुरू हो चुका है। उन्हीं में से एक संत आपको कुंभ क्षेत्र में साइकिल चलाते हुए जाएंगे। लोग इन्हें साइकिल वाले बाबा के नाम से पुकारते हैं। ये बाबा साइकिल की सवारी करते हुए यहां आए हैं। साइकिल को हाईटेक नहीं बल्कि जुगाड़ टेक्नोलॉजी से इस तरह तैयार किया है कि वह हाईवे पर भी फर्राटा भर सके।
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