हिमाचल प्रदेश की पहाड़ियों में, जहाँ हवाओं में अभी भी मानसून के प्रकोप की आहट गूँज रही है, 14 महीने की नितिका नाम की एक बच्ची की हँसी से ज़िंदगी फिर से खिलखिलाने लगी है। मंडी की सेराज घाटी में बादल फटने से अनाथ हुई नन्ही सी बच्ची, अब अपने नए घर को खुशियों से भर देती है, उसकी खिलखिलाहट त्रासदी के खिलाफ एक कोमल चुनौती पेश करती है।
30 जून की रात के 10 बज चुके थे जब चच्योट तहसील के तलवारा गाँव में मूसलाधार बारिश शुरू हो गई। कुछ ही मिनटों में रमेश कुमार के साधारण से घर के पास से बहने वाली दो पहाड़ी नदियाँ तेज़ धाराओं में बदल गईं। जैसे ही पानी अंदर की ओर बढ़ा, रमेश, उनकी पत्नी और उनकी माँ पानी का बहाव मोड़ने के लिए बाहर निकल आए, उन्हें इस बात का अंदाज़ा नहीं था कि ऊँचाई पर बादल फटने से तबाही मचने वाली है।
अंदर, उनकी 11 महीने की बेटी नितिका चैन की नींद सो रही थी। कुछ ही पल बाद, पानी का तेज़ बहाव उनके घर में घुस आया और अपने रास्ते में आने वाली हर चीज़ और हर किसी को बहा ले गया। अगली सुबह रमेश का शव खंडहर के पास मिला। नितिका की माँ और दादी के शव कभी नहीं मिले।
फिर भी, मलबे के बीच एक चमत्कार हुआ। बचावकर्मियों ने उस बच्ची को ज़िंदा पाया, घर के बचे हुए हिस्से के एक कोने में पड़ी हुई—चोटों से भरी, काँपती हुई, लेकिन साँसें ले रही थी। अकल्पनीय क्षति की उस रात में, नितिका आशा की एक किरण बन गई।
आज नितिका शिकावरी गाँव में अपनी बुआ किरना देवी और चाचा अनमंतर सिंह के स्नेह में रहती है। जब अधिकारियों ने अनाथ बच्ची को किसी संस्था में भेजने का सुझाव दिया, तो किरना ने मना कर दिया। काँपती आवाज़ में उसने कहा, “अब वह मेरी बेटी है। वह मेरे पति को पापा और मुझे मम्मी कहती है। मैं उसके बिना जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकती।”
किरना, जिनका एक बेटा भी ग्यारहवीं कक्षा में पढ़ता है, कहती हैं कि इस बच्ची ने उनके घर में फिर से रौशनी ला दी है। “उसके आने से पहले हमारा घर खामोश था। अब उसकी हँसी हर कोने में गूंजती है।” नितिका की नानी, मंगली देवी, अपना पूरा दिन उसकी नन्ही सी बच्ची के साथ खेलकर बिताती हैं। मंद-मंद मुस्कान के साथ उन्होंने कहा, “वह मुझे व्यस्त रखती है। उसे बढ़ते देखना ऐसा लगता है जैसे उम्मीद को अपने पहले कदम उठाते हुए देख रही हो।”
राज्य सरकार ने नितिका को आधिकारिक तौर पर ‘राज्य की बच्ची’ के रूप में मान्यता दी है, जिससे उसके कल्याण और भविष्य की सुरक्षा सुनिश्चित हुई है। उसके नाम पर एक बैंक खाता खोला गया है, जिसमें शुभचिंतकों द्वारा दिए गए अंशदान जमा किए गए हैं।


 
					
					 
																		 
																		 
																		 
																		 
																		 
																		
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