August 6, 2025
National

भारतीय राजनीति की प्रखर आवाज, विदेश मंत्री के तौर पर बेमिसाल रहीं सुषमा स्वराज

A strong voice of Indian politics, Sushma Swaraj was unmatched as a foreign minister

सुषमा स्वराज भारतीय राजनीति की एक ऐसी शख्सियत थीं, जिन्होंने अपनी प्रखर भाषण कला, कूटनीतिक सूझबूझ और जनसेवा के प्रति समर्पण से देश-विदेश में अमिट छाप छोड़ी।

14 फरवरी 1952 को हरियाणा के अंबाला में जन्मी सुषमा स्वराज ने अपने चार दशक लंबे राजनीतिक करियर में कई ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल कीं। वह न केवल भारत की पहली पूर्णकालिक महिला विदेश मंत्री थीं, बल्कि दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री और हरियाणा की सबसे कम उम्र की कैबिनेट मंत्री भी रही थीं।

सुषमा स्वराज ने 1970 के दशक में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। 1977 में मात्र 25 वर्ष की आयु में हरियाणा सरकार में कैबिनेट मंत्री बनीं, जिसने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।

1980 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने के बाद उन्होंने राम मंदिर आंदोलन में उमा भारती के साथ पार्टी में महिला शक्ति की प्रतीक बनकर उभरीं। 1998 में वह दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। हालांकि, उनका कार्यकाल केवल 52 दिन का रहा। लगभग तीन महीने के छोटे कार्यकाल के दौरान प्याज की बढ़ती कीमत को लेकर उनकी काफी आलोचना हुई थी।

1990 में सुषमा स्वराज को राज्यसभा का सदस्य चुना गया। इसके बाद 1996 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली 13 दिन की भाजपा सरकार के दौरान उन्हें सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनाया गया।

2014 से 2019 तक मोदी सरकार में विदेश मंत्री के रूप में सुषमा स्वराज ने भारतीय कूटनीति को नया आयाम दिया। उन्होंने विदेश नीति को जन-केंद्रित बनाया। सोशल मीडिया के माध्यम से उन्होंने विदेश में फंसे लोगों की काफी मदद की। चाहे विदेश में फंसे भारतीयों को निकालने का मुद्दा हो या मेडिकल वीजा दिलाने का मुद्दा, उन्होंने आगे बढ़कर लोगों की मदद की।

सुषमा स्वराज उस विदेश मंत्री का नाम है, जिन्होंने कमान थामते ही मंत्रालय की सूरत बदलकर रख दी। उनके मंत्री रहते यह आम भारतीय का विभाग कहलाने लगा। उनके विदेश मंत्री रहने के दौरान भारत के कई देशों से राजनीतिक और कूटनीतिक संबंध बेहतर हुए।

सुषमा स्वराज की संयुक्त राष्ट्र महासभा में दी गई स्पीच उनकी कूटनीतिक कुशलता का प्रमाण थी। 2016 और 2017 में उन्होंने पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर कड़े शब्दों में जवाब दिया, जिसने वैश्विक मंच पर भारत का पक्ष मजबूती से रखा।

स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों के कारण 6 अगस्त 2019 को सुषमा स्वराज का निधन हो गया।

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