आम आदमी पार्टी (आप) के नेता और विधायक संजीव झा ने दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लिखे गए पत्र पर कड़ा ऐतराज जताते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी है।
संजीव झा ने एलजी को लिखे अपने जवाबी पत्र में कहा कि उपराज्यपाल का पद संवैधानिक है, न कि राजनीतिक बयानबाजी और प्रचार का मंच। यदि एलजी को सक्रिय राजनीति ही करनी है, तो उन्हें अपने पद से इस्तीफा देकर खुलकर राजनीति करनी चाहिए, क्योंकि दिल्ली की जनता को बयान नहीं, बल्कि जवाबदेही और निष्पक्ष प्रशासन चाहिए।
संजीव झा ने कहा कि जब दिल्ली के लोग गंभीर प्रदूषण संकट से जूझ रहे थे, तब एलजी अहमदाबाद में क्रिकेट मैच देखने में व्यस्त थे। उन्होंने सवाल उठाया कि संवैधानिक पद पर बैठा व्यक्ति ऐसे समय में अपने कर्तव्यों से विमुख होकर व्यक्तिगत मनोरंजन में कैसे लिप्त रह सकता है। झा ने याद दिलाया कि स्वयं एलजी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि दिल्ली का 80 प्रतिशत प्रदूषण सरकार के नियंत्रण में है। अब जब भाजपा की सरकार सत्ता में है, तो वे विचार कहां गए? क्या अब सरकार उनकी बात नहीं सुन रही है?
‘आप’ विधायक ने प्रदूषण नियंत्रण के नाम पर क्लाउड सीडिंग जैसे उपायों पर करोड़ों रुपये खर्च किए जाने को फिजूलखर्ची बताते हुए कहा कि इसके बावजूद नतीजे शून्य हैं, लेकिन एलजी इस पर मौन हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि एलजी ने 2015 और 2020 में आम आदमी पार्टी को मिले जनादेश के बावजूद चुनी हुई सरकार के अधिकारों में लगातार हस्तक्षेप किया और संवैधानिक मर्यादाओं का उल्लंघन किया।
संजीव झा ने मोहल्ला क्लिनिक बंद होने, बस मार्शलों और डीटीसी कर्मचारियों को हटाए जाने, झुग्गियों के बड़े पैमाने पर ध्वस्तीकरण और जनहित से जुड़े मुद्दों पर एलजी की चुप्पी पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि जिन डीडीए पार्कों को उपलब्धि के रूप में गिनाया गया, वही आज निजीकरण और शुल्क के चलते आम जनता से दूर हो गए हैं।
झा ने आरोप लगाया कि जहां एक ओर प्रधानमंत्री ‘पेड़-मां’ अभियान की बात करते हैं, वहीं वसंत विहार में 2200 पेड़ों की कटाई करवाई गई, जिसके लिए बाद में सुप्रीम कोर्ट में माफी मांगनी पड़ी। उन्होंने इसे संवैधानिक पद पर रहते हुए गंभीर लापरवाही करार दिया। आबकारी नीति, बाढ़, जलभराव से हुई मौतों, नए अस्पतालों के निर्माण और विभिन्न आयोगों व बोर्डों के गठन को लेकर भी संजीव झा ने एलजी पर दोहरे रवैये का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार के 10 महीने बीत जाने के बावजूद कई संवैधानिक संस्थाएं गठित नहीं हुईं, लेकिन एलजी इस पर सवाल नहीं उठा रहे। संजीव झा ने कहा कि एलजी का पत्र यह दर्शाता है कि उनकी प्राथमिकता जनता की सेवा नहीं, बल्कि राजनीतिक प्रासंगिकता और विरोधाभासी बयानबाजी है।
उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि यदि उपराज्यपाल राजनीति करना चाहते हैं, तो उन्हें संवैधानिक पद छोड़कर जनता के सामने आना चाहिए। संजीव झा ने चेतावनी दी कि एलजी की नाकामियों का विस्तृत विवरण वह अगले पत्र में सार्वजनिक करेंगे, ताकि दिल्ली की जनता को सच्चाई का पता चल सके।
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