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धौलपुर के अब्दुल्ला 25 साल से बना रहे ताजिये, आगरा और मुरैना से आते हैं ऑर्डर

Abdullah of Dholpur has been making Tajiya for 25 years, orders come from Agra and Morena.

धौलपुर, 11 जुलाई । दुनियाभर में 7 जुलाई को मुहर्रम का चांद दिख गया। इस्लाम में मुहर्रम के महीने का काफी महत्व है। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, साल का पहला महीना मुहर्रम का होता है। जो हजरत इमाम हुसैन की शहादत से जुड़ा है।

ऐसे में मुस्लिम समुदाय के लोग हजरत इमाम हुसैन की याद में ताजिए बना रहे हैं। इन्हीं में से एक हैं धौलपुर के अब्दुल्ला, जो पिछले 25 सालों से ताजिए बना रहे हैं। अब्दुल्ला के बनाए गए ताजियों की डिमांड ऐसी है कि आगरा और मुरैना के लोग भी ऑर्डर देते हैं।

धौलपुर के पुरानी सराय इलाके में रहने वाले अब्दुल्ला ने बताया कि उन्होंने ताजिया बनाना अपने मामा से सीखा था। आज मामा से सीखा हुआ हुनर उनके रोजगार का जरिया बन गया है। उन्होंने कहा कि ताजिया बनाने का काम अपने बेटे को भी सिखाया है। वह ऑर्डर पर ही ताजियों को बनाते हैं। उनके हाथ के बने ताजियों की डिमांड धौलपुर के अलावा आगरा और मुरैना तक है।

अब्दुल्ला ने आगे कहा कि इस बार पूरे 10 ताजियों को तैयार करने का ऑर्डर मिला है, जिनमें से कुछ पूरे हो गए हैं और बाकी का काम चल रहा है। उन्होंने कहा कि वह बीते 25 सालों से ताजिया बना रहे हैं, उनके परिवार का भी इसमें पूरा सहयोग मिलता है।

उन्होंने कहा कि ताजियों को बनाने में बहुत मेहनत लगती है। इसे बनाने में रंग-बिरंगे कागज, लकड़ी और गोंद का इस्तेमाल किया जाता है। एक ताजिये को बनाने में लगभग एक महीना से अधिक का समय लगता है। इस बार बाजार में 3 से 4 फीट तक के ताजियों की अधिक मांग है। ताजियों के आकार के अनुसार, सभी की अलग-अलग कीमत है।

बता दें कि मुहर्रम महीने के 10वें दिन ताजिये को सुपुर्द ए खाक किया जाता है। मुहर्रम की 9 और 10 तारीख को मुस्लिम समुदाय के लोग रोजा रखकर इबादत करते हैं।

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