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ऊना में वन माफिया पर कार्रवाई, 3 महीने में लकड़ी व अन्य उत्पाद से लदे 80 वाहन जब्त

Action against forest mafia in Una, 80 vehicles loaded with wood and other products seized in 3 months

एक, 28 जून ऊना वन प्रभाग और वन माफिया के बीच रस्साकशी जारी है, क्योंकि वन उपज की लूटपाट की घटनाएं लगातार जारी हैं। वन विभाग के इस दावे के बावजूद कि उन्होंने रात भर निगरानी करके विरोधी पर शिकंजा कसा है, पिछले तीन महीनों में अवैध रूप से काटे गए वन उपज ले जा रहे 80 वाहनों को जब्त किया गया है।

विभाग ने अवैध वन उपज ले जा रहे 80 ट्रकों को जब्त करने में सफलता प्राप्त की है। उन्होंने बताया कि इनमें तीन वाहन खैर की लकड़ी, दो वाहन चीड़ की राल तथा शेष में विभिन्न प्रकार की लकड़ियां शामिल हैं।

ऊना के प्रभागीय वन अधिकारी सुशील राणा ने बताया कि वन रक्षकों सहित क्षेत्र स्तर के अधिकारी हाई अलर्ट पर हैं और देर रात से लेकर सुबह तक नियमित रूप से निगरानी की जा रही है। उन्होंने कहा कि कड़ी निगरानी के नतीजे मिल रहे हैं, लेकिन वन माफिया अपनी कार्यप्रणाली बदलते रहते हैं, जिससे विभाग के अधिकारियों को अपनी योजनाएँ बदलने पर मजबूर होना पड़ता है।

डीएफओ ने कहा, “हालांकि सरकारी वन भूमि पर अवैध गतिविधियों में लिप्त कोई बड़े संगठित गिरोह नहीं हैं, लेकिन स्थानीय लोगों के छोटे समूह हैं, जो वन उपज काटते हैं, इन्हें पहले से तय विक्रेताओं को बेचते हैं और फिर कुछ समय के लिए निष्क्रिय हो जाते हैं, फिर कोई दूसरा तीव्र अभियान शुरू कर देते हैं।”

राणा ने बताया कि इन दिनों वन उपज तस्कर गिरोहों में मोटरसाइकिल पर सवार मोबाइल स्पॉटर शामिल हैं, जो वन विभाग के वाहनों के अलावा अन्य अज्ञात संदिग्ध वाहनों पर नज़र रखते हैं। उन्होंने बताया कि अवैध रूप से काटे गए वन उपज को अलग-अलग स्थानों पर ले जाया जाता है और जंगल की आड़ में छिपा दिया जाता है, जहाँ से इन्हें समूहों में उठाया जाता है।

डीएफओ ने एक उदाहरण देते हुए बताया कि पिछले सोमवार को एक गुप्त सूचना के आधार पर बंगाणा सब-डिवीजन के कुछ गांवों की लिंक सड़कों पर निगरानी रखी गई। तस्करों पर नजर रखने के लिए विभिन्न स्थानों पर वन रक्षकों को तैनात किया गया। उन्होंने बताया कि लिंक सड़कों पर दो मोटरसाइकिलें इधर-उधर जाती देखी गईं और वन कर्मचारियों ने उनके रजिस्ट्रेशन नंबर नोट कर लिए।

डीएफओ ने बताया कि सुबह करीब 4.15 बजे वन विभाग की टीम ने इलाके में एक पिकअप ट्रक को रोका और उसमें से खैर की लकड़ियाँ बरामद की गईं। उन्होंने बताया कि लकड़ी का स्रोत धीउनसर गांव में सरकार द्वारा सीमांकित संरक्षित वन क्षेत्र में पाया गया और लकड़ियों की कीमत 1.73 लाख रुपये आंकी गई। उन्होंने बताया कि मोबाइल स्पॉटर्स के रजिस्ट्रेशन नंबर पुलिस को एफआईआर में दर्ज कर दिए गए हैं।

राणा ने कहा कि माफिया सब्जियों और फलों के बक्सों के नीचे दबी वन उपज की तस्करी भी कर रहे हैं, जिन्हें जिले से पड़ोसी राज्यों में ले जाया जाता है और वन विभाग अंतर-राज्यीय बैरियर पर ऐसे वाहनों की जांच कर रहा है। उन्होंने कहा कि तस्करी में शामिल लोग आम तौर पर अलग-अलग जगहों से होते हैं और एक-दूसरे से जुड़े नहीं होते। उन्होंने कहा कि विभाग यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि ये लोग इस अपराध में कैसे संगठित हो रहे हैं।

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