पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से हिमालयी क्षेत्र में ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए कार्ययोजना तैयार की जाएगी। इसके लिए पर्यावरणविदों और भूगोल विशेषज्ञों से समन्वय स्थापित किया जाएगा ताकि हिमालयी क्षेत्र का बेहतर तरीके से संरक्षण किया जा सके। यह बात पर्यटन निगम के अध्यक्ष आरएस बाली ने राजकीय महाविद्यालय धर्मशाला में दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का उद्घाटन करते हुए कही।
कॉलेज का भूगोल विभाग हिमाचल प्रदेश की भौगोलिक सोसायटी के सहयोग से सेमिनार का आयोजन कर रहा है, जिसका विषय है ‘हिमालय में भूगोल, आपदा प्रबंधन और स्थिरता’। उन्होंने कहा, “कई ग्लेशियर पिघल रहे हैं और झीलें बन रही हैं, जिनके फटने और निचले इलाकों में बाढ़ आने का खतरा है। पारंपरिक स्रोत सूख गए हैं, जिससे पानी की आपूर्ति सीमित हो गई है।”
बाली ने इन चुनौतियों से निपटने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि भूगोल के शोधकर्ताओं को तत्परता से काम करना होगा और आम जनता को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश को ग्रामीण भारत में जलवायु अनुकूलन और वित्त परियोजनाओं के दूसरे चरण के कार्यान्वयन के लिए जर्मन विकास एजेंसी जीआईजेड के सहयोग से चुना गया है। उन्होंने कहा, “राज्य सरकार पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व प्रदान करने की दिशा में आगे बढ़ रही है।”
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