May 13, 2025
Entertainment

नहीं रहे अभिनेता मनोज कुमार, 87 साल की उम्र में निधन

Actor Manoj Kumar is no more, dies at the age of 87

देशभक्ति फिल्मों के माध्यम से दर्शकों के दिलों में अलग जगह बनाने वाले हिंदी सिने जगत के दिग्गज कलाकार मनोज कुमार का 87 साल की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने शुक्रवार सुबह मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में अंतिम सांस ली।

मनोज कुमार ने बॉलीवुड को उपकार, पूरब-पश्चिम, क्रांति, रोटी-कपड़ा और मकान सहित ढेर सारी कामयाब फिल्में दीं। इन फिल्मों की वजह से उन्हें दर्शक ‘भारत कुमार’ के नाम से भी जानते थे। अभिनेता मनोज कुमार का जन्म 24 जुलाई 1937 को ऐबटाबाद में हुआ, जो बंटवारे के बाद पाकिस्तान का हिस्सा बना। बंटवारे के बाद मनोज कुमार के अभिभावकों ने भारत में रहने का फैसला किया। इसी के साथ वह दिल्ली आ गए। मनोज कुमार ने बंटवारे का दर्द बहुत नजदीक से देखा था। बताया जाता है कि वह दिलीप कुमार और अशोक कुमार की फिल्मों को देखकर इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने एक्टर बनने का निश्चय कर लिया। इसी के साथ ही उन्होंने अपना नाम हरिकिशन से बदलकर मनोज कुमार रख लिया।

मनोज कुमार एक्टर बनना चाहते थे और जब वह कॉलेज में थे, तो वह थिएटर ग्रुप से जुड़े। दिल्ली से उन्होंने मुंबई का सफर तय किया। मुंबई में मनोज कुमार ने एक्टिंग करियर की शुरुआत की। 1957 में उनकी फिल्म ‘फैशन’ आई। इसके बाद 1960 में उनकी फिल्म ‘कांच की गुड़िया’ रिलीज हुई। बतौर मुख्य अभिनेता के तौर पर यह फिल्म दर्शकों को पसंद आई और लोग मनोज कुमार को नोटिस करने लगे। इसके बाद तो मनोज कुमार ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। मनोज कुमार ने इसके बाद हिन्दी सिनेमा को ‘उपकार’, ‘पत्थर के सनम’, ‘रोटी कपड़ा और मकान’, ‘संन्यासी’ और ‘क्रांति’ जैसी सुपरहिट फिल्में दीं।

खास बात यह है कि दिग्गज अभिनेता की फिल्मों में उनका नाम मनोज कुमार ही रहता था। मनोज कुमार ने पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के कहने पर एक फिल्म बनाई थी, जिसका नाम ‘उपकार’ रखा गया। इसे दर्शकों ने खूब पसंद किया। दुख की बात यह है कि इस फिल्म को पूर्व पीएम देख नहीं पाए थे।

मनोज कुमार को उनकी फिल्मों के लिए 7 फिल्मफेयर पुरस्कार मिले थे। साल 1968 में ‘उपकार’ ने बेस्ट फिल्म, बेस्ट डायरेक्टर, बेस्ट स्टोरी और बेस्ट डायलॉग के लिए चार फिल्मफेयर जीते। 1992 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया। 2016 में उन्हें दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से नवाजा गया।

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