हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश राजीव शकधर को आज उनकी सेवानिवृत्ति पर विदाई देने के लिए उच्च न्यायालय परिसर में एक पूर्ण न्यायालय संबोधन का आयोजन किया गया। उन्होंने इस वर्ष 25 सितंबर को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का पदभार ग्रहण किया था।
मुख्य न्यायाधीश राजीव शकधर ने कहा, “न्यायाधीशों का कोई एजेंडा नहीं होता। उनके कर्तव्य, दायित्व और शक्तियाँ संविधान और कुछ हद तक सामान्य ज्ञान द्वारा निर्धारित की जाती हैं। न्यायाधीशों की कोई विचारधारा नहीं होती और उनका स्वाभाविक स्वभाव कानून के दायरे में रहकर वंचित, कमज़ोर और अशक्त, वृद्ध और युवा लोगों को सहारा देना होता है। संविधान हमें आवश्यक साधन प्रदान करता है और संभावित प्रतिकूल परिस्थितियों से भी बचाता है। इस नौकरी की खासियत यह है कि यह हमें अपना रास्ता चुनने की अनुमति देता है और संविधान के दायरे में रहकर काम करने के लिए प्रेरित करता है।”
मुख्य न्यायाधीश शकधर ने अपने सभी साथी न्यायाधीशों, कर्मचारियों और निजी कर्मचारियों को उनके प्यार, स्नेह और सहयोग के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने अपने पूरे करियर में अपने परिवार के अटूट समर्थन के लिए उनका आभार व्यक्त किया।
न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश शखधर का कार्यकाल बहुत छोटा था, फिर भी यह फलदायी और उत्पादक रहा। उन्होंने कहा, “सबसे जटिल कानूनी मुद्दों को भी संभालने में उनकी सूझबूझ, कौशल और निपुणता के लिए किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है।”
न्यायमूर्ति चौहान ने कहा कि न्यायपालिका के राज्य प्रमुख का पदभार संभालने के बाद मुख्य न्यायाधीश शखधर ने सभी जिला न्यायाधीशों की समस्याओं और कठिनाइयों के समाधान के लिए तुरंत उनकी बैठक बुलाई थी और उसका प्रभावी समाधान किया था।
चीफ जस्टिस शकधर ने सीनियर एडवोकेट्स को नामित करने में भी गहरी दिलचस्पी दिखाई और अभी दो दिन पहले ही उन्होंने सफलतापूर्वक ऐसा किया। हिमाचल प्रदेश नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी फरवरी, 2024 से कुलपति के बिना थी और चीफ जस्टिस शकधर ने तुरंत पहल की और अब वहां कुलपति की नियुक्ति कर दी गई है।
न्यायमूर्ति चौहान ने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय और समस्त कानूनी बिरादरी की ओर से मुख्य न्यायाधीश शकधर को सुखी, स्वस्थ, समृद्ध और आनंदमय जीवन के लिए शुभकामनाएं दीं।
इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान, न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर, न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल, न्यायमूर्ति संदीप शर्मा, न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ, न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य, न्यायमूर्ति सुशील कुकरेजा, न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह, न्यायमूर्ति रंजन शर्मा, न्यायमूर्ति बिपिन चंद्र नेगी और न्यायमूर्ति राकेश कैंथला उपस्थित थे। रजिस्ट्रार जनरल भूपेश शर्मा ने कार्यवाही का संचालन किया।
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