January 31, 2025
Uttar Pradesh

महाकुंभ में मौनी अमावस्या के बाद काशी में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, ट्रेन लेट होने की वजह से हुई परेशानी

After Mauni Amavasya in Mahakumbh, crowd of devotees gathered in Kashi, problems due to train delay

वाराणसी, 31 जनवरी । महाकुंभ में मौनी अमावस्या के बाद काशी में पलट प्रवाह देखने के लिए मिल रहा है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु काशी पहुंच रहे हैं और अपनी ट्रेन का इंतजार कर रहे हैं। कैंट रेलवे स्टेशन पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ है और कई ट्रेन निर्धारित समय से पांच से ज्यादा घंटे लेट हैं। श्रद्धालुओं ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस अपने अनुभव शेयर किए।

राजा नामक एक यात्री ने बताया, “हम पहले प्रयागराज रेलवे स्टेशन गए थे, फिर संगम नहाए। हम अभी काशी नहीं घूमे हैं। अब हम लोग सीधे घर की ट्रेन खोज रहे हैं। यहां भीड़ बहुत ज्यादा है इसलिए घूमने का समय भी नहीं है। ट्रेन छूट सकती है।”

नेपाल से आए देवराज ने बताया, “हम कुंभ के लिए प्रयागराज आए थे। जहां संगम में स्नान करने के बाद हम बनारस आए हैं। यहां बहुत भीड़ है। हम लोग ट्रेन का इंतजार कर रहे हैं।”

अहमदाबाद से आए ललित कुमार ने कहा, “प्रयागराज, बनारस और अयोध्या में भी बहुत ज्यादा भीड़ है। पैर रखने के लिए भी जगह नहीं है। बनारस में कल रात से पब्लिक बहुत ज्यादा बढ़ चुकी है। हालांकि हमारे दर्शन अच्छे से हुए हैं।”

नेपाल से आए विनय कुमार ने कहा, “हम प्रयागराज गए और कुंभ में संगम में नहाए। इसके बाद अमावस्या को स्नान करने के बाद बनारस आए हैं। हमको बनारस आने के लिए 15 घंटे लग गए। बहुत ज्यादा भीड़ है।”

इस तरह से बहुत अधिक भीड़ और ट्रेन लेट होने की वजह से श्रद्धालुओं को असुविधा हो रही है। बता दें कि लगभग 20 लाख से अधिक श्रद्धालु काशी पहुंचे हैं। इनमें से अधिकतर ने घाट पर स्नान के बाद काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन पूजन किए। स्टेशन के पास तीन होल्डिंग एरिया बनाए गए हैं। ट्रेन का अनाउंसमेंट होने के बाद ही यात्रियों को छोड़ा जा रहा है। इसके अलावा रेलवे ने श्रद्धालुओं की सहूलियत के लिए कई जगह पूछताछ केंद्र बनाए हैं।

वहीं, काशी वासी पवन सिंह ने आईएएनएस को बताया, “मौनी अमावस्या पर हमेशा से भीड़ रहती है। इस बार कुंभ के चलते और भी अधिक भीड़ थी। काशी वासियों ने हालांकि संयम का परिचय दिया। इस बार भीड़ 10 लाख से ऊपर थी जो आम तौर पर तीन-चार लाख ही होती थी। इस बार लोकल लोगों ने बाहर के लोगों को वरीयता देते हुए अपने स्नान की व्यवस्था कहीं और की है। बाहर से आए श्रद्धालुओं की ही भीड़ यहां ज्यादा रही और लोकल लोगों ने उनकी व्यवस्था के लिए अच्छी तैयारियां की।”

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