January 19, 2025
National

नदी लिंक परियोजना के लिए मध्य प्रदेश व राजस्थान के बीच समझौता

Agreement between Madhya Pradesh and Rajasthan for river link project

भोपाल, 1 जुलाई । मध्य प्रदेश और राजस्थान में विकास की नई इबारत लिखने की रविवार को शुरुआत हुई। दोनों राज्यों ने पार्वती-काली सिंध चंबल नदी लिंक परियोजना के क्रियान्वयन के लिए संयुक्त पहल की है। इसके लिए दोनों राज्यों के बीच एमओयू हुआ है। इस परियोजना से मध्य प्रदेश और राजस्थान के 13- 13 जिलों को लाभ होगा।

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में नदी लिंक परियोजना के लिए संयुक्त पहल के लिए कार्यक्रम हुआ। इस मौके पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भावना के अनुरूप आज चंबल-पार्वती-कालीसिंध की जल-धाराओं का मध्यप्रदेश और राजस्थान के लिए उपयोग का महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। दोनों राज्यों के बीच परियोजना के क्रियान्वयन के लिए एमओयू हुआ है। इस समझौते के कारण मुरैना, ग्वालियर,श्योपुर, राजगढ़ सहित 13 जिलों में पेयजल और सिंचाई की सुविधाएं बढ़ाई जा सकेंगी। पानी की एक-एक बूंद का राजस्थान एवं मध्यप्रदेश में उपयोग होगा, इससे दोनों राज्यों के विकास में नई इबारत लिखी जायेगी। यह 72 हजार करोड़ रूपये की योजना है।

राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि मध्य प्रदेश और राजस्थान की इस योजना को मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने आगे बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री मोदी की भावना को मूर्त रूप देने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि हमारी साझा नीति दोनों प्रदेशों को आगे बढ़ाने की है। इस परियोजना के पूरा होने से दोनों प्रदेशों की उन्नति होगी । राज्य और केंद्र सरकार मिलकर इस परियोजना को आगे बढ़ाने की कोशिश करेंगे।

उन्होंने कहा कि पहले की तुलना में वर्तमान में स्थिति बदली है। पहले सीमित संसाधन थे। राजस्थान के 13 जिले और इतने ही जिले मध्य प्रदेश के इस परियोजना से लाभ प्राप्त करेंगे। इस योजना से दोनों प्रदेशों को लाभ होगा साथ ही आपसी रिश्ते भी सुदृढ़ होंगे। मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा कि इसके अतिरिक्त कुछ योजनाएं मध्यप्रदेश और राजस्थान दोनों मिलकर आगे बढ़ा सकते हैं।

उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण राजस्थान में भी आए थे। राजस्थान और मध्य प्रदेश के अंदर खाटू श्याम से महाकाल तक कॉरीडोर बनाने के प्रयास होंगे। इससे राजस्थान- मध्य प्रदेश के अंदर पर्यटकों और श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ेगी। स्थापत्य कला को भी देखने का अवसर मिलेगा।

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