अहमदाबाद की सीबीआई कोर्ट ने शुक्रवार को बैंक ऑफ बड़ौदा से जुड़े एक बैंक धोखाधड़ी मामले में चार लोगों को दोषी ठहराया। कोर्ट ने उन्हें तीन साल की जेल और 50-50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अनुसार, यह मामला 30 सितंबर, 2008 को दर्ज किया गया था। आरोपियों ने आपराधिक साजिश और गलत इरादे से जाली वित्तीय बयान जमा करके बैंक ऑफ बड़ौदा से 3 करोड़ रुपए की कैश क्रेडिट सुविधा हासिल कर ली थी।
सीबीआई जांच में पता चला कि बैंक ऑफ बड़ौदा से सुविधा लेते समय आरोपियों ने जानबूझकर यह तथ्य छिपाया कि पीएम मार्केटिंग ने पहले ही स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से कैश क्रेडिट सुविधा ले रखी थी।
सीबीआई ने कहा कि इस महत्वपूर्ण जानकारी को छिपाकर चारों आरोपियों ने बैंक ऑफ बड़ौदा को 3.48 करोड़ रुपए का गलत नुकसान पहुंचाया और खुद के लिए गलत फायदा उठाया। शुरुआती जांच में कुछ सरकारी कर्मचारियों की भी संलिप्तता पाई गई थी, जिसके बाद सीबीआई ने जांच तेज कर दी थी।
जांच में आगे यह भी साबित हुआ कि पीएम मार्केटिंग के पार्टनरों ने जाली वित्तीय दस्तावेजों के आधार पर बैंक ऑफ बड़ौदा से क्रेडिट सुविधा प्राप्त की और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारियों के साथ साजिश करके नई सुविधा लेने से पहले पिछली क्रेडिट सुविधा का खुलासा नहीं किया।
मनोजभाई बी. तांती, परेशभाई एम. तांती, पूर्वा परेशभाई तांती और लीलावंती एम. तांती पर आरोप था कि उन लोगों ने बैंक से लोन लेते समय कई दस्तावेजों को भी छुपाया था। जांच पूरी करने के बाद सीबीआई ने 11 दिसंबर 2009 को आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की। कोर्ट ने चारों को दोषी पाया और उसी के अनुसार सजा सुनाई।
सीबीआई रिश्वतखोरी के मामलों की सक्रिय रूप से जांच करती है, जिसके परिणामस्वरूप धोखाधड़ी के मामलों में सरकारी कर्मचारियों और कंपनी के लोगों को दोषी ठहराया जाता है, जिसमें सजा के तौर पर जेल और भारी जुर्माना शामिल है।

