दिवाली के जश्न के बाद चेन्नई शहर में वायु प्रदूषण के स्तर में तेजी से इजाफा हुआ। दिवाली के मौके पर रात भर शहर में पटाखों की गूंज सुनाई दी, जिसका असर हवा की गुणवत्ता पर साफ दिखा।
सोमवार शाम तक स्थिति सामान्य थी, लेकिन मंगलवार सुबह आते-आते शहर का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 154 तक पहुंच गया, जो ‘मध्यम से खराब’ श्रेणी में आता है। इसकी तुलना में दिवाली से एक दिन पहले यह 80 दर्ज किया गया था।
तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (टीएनपीसीबी) के मुताबिक, सबसे खराब स्थिति पेरुंगुडी इलाके में देखी गई, जहां एक्यूआई 217 दर्ज किया गया। यह ‘खराब’ श्रेणी में आता है और सांस संबंधी दिक्कतों से जूझ रहे लोगों के लिए खतरनाक माना जाता है।
इसके अलावा, मनाली और वेलाचेरी में एक्यूआई 151, अरुंबक्कम में 145 और अलंदूर में 128 रिकॉर्ड किया गया। हालांकि इस बार का प्रदूषण स्तर पिछले साल की तुलना में कम रहा, जब 2024 में दिवाली पर वलसरवक्कम में एक्यूआई 287 तक पहुंच गया था।
पर्यावरण अधिकारियों का कहना है कि इस बार त्योहार के दौरान हुई रुक-रुक कर बारिश ने प्रदूषण को कुछ हद तक नियंत्रित किया। बारिश की वजह से हवा में मौजूद धूल और धुएं के कण नीचे बैठ गए, जिससे वायु की गुणवत्ता में सुधार देखने को मिला।
दिवाली के बाद पूरे शहर में धुंध और हल्की धुएं की चादर देखी गई। इसके बीच ग्रेटर चेन्नई कॉर्पोरेशन (जीसीसी) ने तुरंत सफाई अभियान शुरू कर दिया। सोमवार शाम 6 बजे तक करीब 60 मीट्रिक टन पटाखों का कचरा साफ किया गया। सबसे ज्यादा कचरा अलंदूर जोन से इकट्ठा हुआ, जहां से 6.89 मीट्रिक टन कचरा निकला। इसके बाद पेरुंगुडी में 6.03 मीट्रिक टन कचरा एकत्रित किया गया।
सफाई के लिए रातभर 6,000 से ज्यादा सफाईकर्मी तैनात किए गए, जिन्होंने पटाखों के कचरे को साफ कर उन्हें गुम्मिदीपोंडी, कोडुंगैयूर और पेरुंगुडी स्थित कचरा प्रबंधन केंद्रों में भेजा।
नगर निगम ने नागरिकों से अपील की है कि वे पटाखों के कचरे को अलग से जमा करके सफाईकर्मियों को सौंपें, जिससे इसका सुरक्षित तरीके से निपटान हो सके।
दूसरी ओर, दिवाली के दिन तमिलनाडु की 108 आपातकालीन एंबुलेंस सेवा को आम दिनों के मुकाबले 61 प्रतिशत अधिक कॉल्स प्राप्त हुईं। सोमवार शाम तक 4,635 कॉल्स रिकॉर्ड किए गए, जिनमें से 135 मामले पटाखों से होने वाली दुर्घटनाओं से जलने के थे।
दिवाली का जश्न पूरे राज्य में पारंपरिक जोश और उत्साह के साथ मनाया गया। लोगों ने नए कपड़े पहने, मिठाइयां बांटीं और अपने घरों को रंग-बिरंगी रोशनी से सजाया। बारिश के बावजूद त्योहार का उल्लास कम नहीं हुआ और देर रात तक आतिशबाजी का सिलसिला जारी रहा।