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अजमेर : वादी पक्ष के अधिवक्ता ने कहा, ‘प्राचीन समय में यहां भगवान शिव की पूजा होती थी’

Ajmer: Advocate of the plaintiff side said, 'Lord Shiva was worshiped here in ancient times.'

अजमेर, 27 नवंबर । राजस्थान के अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को हिंदू मंदिर बताने वाली याचिका को निचली अदालत ने बुधवार को मंजूर कर लिया।

दिल्ली निवासी हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष और मामले में वादी विष्णु गुप्ता ने विभिन्न साक्ष्यों के आधार पर अजमेर दरगाह में संकट मोचन महादेव मंदिर होने का दावा पेश किया था। याचिका की योग्यता पर मंगलवार को भी सुनवाई हुई थी। बुधवार को भी न्यायालय में सुनवाई हुई। अदालत ने आज वाद को स्वीकार कर लिया।”

वादी विष्णु गुप्ता की ओर से हरविलास शारदा द्वारा लिखी पुस्तक का हवाला देते हुए वाद पेश किया गया था, जिसमें उन्होंने अजमेर की दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा किया है। इस मामले में अगली सुनवाई 20 दिसंबर को होगी।

वादी पक्ष के अधिवक्ता रामस्वरूप बिश्नोई ने आईएएनएस से कहा कि तीनों प्रतिवादियों दरगाह कमेटी, भारतीय अल्पसंख्यक मंत्रालय, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को नोटिस समन जारी किया गया है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि प्राचीन समय में यहां पर शिव मंदिर था और यहां उनकी पूजा होती थी। हम उसी पूजा पद्धति को हिंदू पद्धति के हिसाब से करना चाहते हैं।

रामस्वरूप बिश्नोई ने कहा कि हरविलास शारदा की ‘अजमेर हिस्टोरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव’ किताब में उन्होंने जिक्र किया था कि इस ढांचे को देखकर ऐसा लगता है यह पुरानी मंदिर से है। आज भी उसमें कुछ ऐसी चीजें लगी हुई हैं जो हिंदू परंपरा से जुड़ी हुई है। कोर्ट ने वाद को स्वीकार कर लिया है।

विष्णु गुप्ता ने कहा कि पक्षकारों के जवाब आने के बाद “हम सर्वे की मांग कोर्ट से रखेंगे। हमें उम्मीद है कि सर्वे होगा”।

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