चंडीगढ़, 6 अक्टूबर । शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने शुक्रवार को पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित से सुप्रीम कोर्ट में सतलुज यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर मामले का बचाव करते समय राज्य के हितों से समझौता करने के लिए मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली सरकार को बर्खास्त करने का आग्रह किया।
पार्टी अध्यक्ष सुखबीर बादल के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से मुलाकात की और उन्हें एक ज्ञापन सौंपा।
इसमें बताया गया कि मुख्यमंत्री ने किस तरह सीएम केजरीवाल के कहने पर सुप्रीम कोर्ट में पंजाब और पंजाबियों की पीठ में छुरा घोंपा है, जो राइपेरियन सिद्धांत का सीधा उल्लंघन करते हुए पंजाब का पानी हरियाणा और राजस्थान को देने पर अड़े हैं।
बादल ने यह भी कहा कि पार्टी पानी की एक बूंद भी पंजाब से बाहर नहीं जाने देगी। राज्य में कोई एसवाईएल नहर नहीं है, जिस जमीन पर नहर खड़ी थी उसे 2016 में पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने किसानों को वापस हस्तांतरित कर दिया था। न नहर बनेगी, न ही हमारे पास देने को पानी है।
सुखबीर बादल ने यह भी कहा कि राज्य में सत्ता संभालने के बाद पार्टी सभी जल बंटवारा समझौते खत्म कर देगी। हम राजस्थान में पानी जानें से रोकेंगे।
उन्होंने राज्यपाल से यह भी अपील की है कि वे केंद्र सरकार को एसवाईएल नहर मुद्दे पर पंजाब के साथ हुए ऐतिहासिक अन्याय को सुधारने के लिए संसद में कानून लाने की सिफारिश करें। इसे राइपेरियन सिद्धांत के तहत सुलझाएं, जिसके तहत पंजाब को अपने क्षेत्र में बहने वाले पानी पर अविभाज्य अधिकार प्राप्त है।
प्रतिनिधिमंडल में शामिल बिक्रम सिंह मजीठिया, डॉ. दलजीत सिंह चीमा, डॉ. सुखविंदर कुमार और अनिल जोशी ने राज्यपाल से कहा कि पंजाब से पानी हरियाणा तक पहुंचाने के इरादे से केंद्र सरकार की ओर से जबरन सर्वे कराने के प्रयास से पंजाब में किसानों का गुस्सा फूटने की संभावना है, जिसे रोकना बेहद मुश्किल होगा। यह कदम संवेदनशील सीमावर्ती राज्य में शांति के अनुकूल भी नहीं होगा। ऐसा लगता है कि राज्य सरकार पंजाब के मामले में ठोस बहस करने में विफल रही है।
प्रतिनिधिमंडल ने सुप्रीम कोर्ट में आप सरकार के विश्वासघात को भी उजागर किया, जिसमें उसने एसवाईएल नहर के निर्माण की इच्छा व्यक्त की थी। लेकिन विपक्षी दलों के दबाव के साथ-साथ नहर के लिए भूमि अधिग्रहण में कठिनाइयों के कारण, जिसे पूर्ववर्ती शिरोमणि अकाली दल सरकार ने किसानों को वापस कर दिया था।
प्रतिनिधिमंडल ने यह भी बताया कि कैसे दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने घोषणा की थी कि हरियाणा और दिल्ली को एसवाईएल नहर के माध्यम से पानी दिया जाना चाहिए, और कैसे दिल्ली सरकार ने अप्रैल 2016 में सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया था, जिसमें कहा गया था कि हरियाणा और दिल्ली दोनों को एसवाईएल नहर से उनके हिस्से का पानी दिया जाना चाहिए।