सेंट्रल पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज (सीपीएसई) से डिविडेंड बीते पांच वर्षों में 86.2 प्रतिशत बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में 74,017 करोड़ रुपए हो गया है, जो कि वित्त वर्ष 2020-21 में 39,750 करोड़ रुपए था। यह जानकारी वित्त मंत्रालय की ओर से बुधवार को दी गई। सरकार ने बयान में कहा कि डिविडेंड में बढ़त की वजह बेहतर कैपिटल मैनेजमेंट रणनीति, जवाबदेही के तंत्र में सुधार होना और विनिवेश लेनदेन में उचित अंतराल होना है।
2025 में वित्त मंत्रालय के डिपार्टमेंट ऑफ इन्वेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट (दीपम) ने पब्लिक फाइनेंस को मजबूत करने, सीपीएसई में वैल्यू क्रिएशन बढ़ाने, और असरदार कैपिटल मैनेजमेंट, रणनीतिक विनिवेश और क्षमता बढ़ाने की पहलों के जरिए बाजार केंद्रित सुधारों को गहरा करने में अहम भूमिका निभाना जारी रखा है।
बयान में कहा गया कि विनिवेश के जरिए सीपीएसई में सरकारी शेयरहोल्डिंग में लगातार कमी के बावजूद, वित्त वर्ष 2020-21 से डिविडेंड भुगतान में लगातार बढ़ोतरी हुई है। सीपीएसई से मिलने वाला डिविडेंड सरकार की गैर-कर आय का एक महत्वपूर्ण स्त्रोत है। पिछले कुछ वर्षों में सीपीएसई द्वारा डिविडेंड भुगतान में काफी सुधार हुआ है।
बयान में कहा गया है कि पिछले पांच वित्त वर्षों में सीपीएसई से कुल डिविडेंड प्राप्ति में लगातार बढ़ोतरी का ट्रेंड दिखा है, जो हर साल के संशोधित अनुमान से अधिक रहा है। दीपम ने सीपीएसई में वैल्यू क्रिएट के लिए ऑफर फॉर सेल (ओएफएस) रूट का भी इस्तेमाल किया। मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड में सरकार की 84.83 प्रतिशत हिस्सेदारी में से 3.61 प्रतिशत पेड-अप इक्विटी का विनिवेश ओएफएस के जरिए 4 अप्रैल, 2025 को नॉन-रिटेल कैटेगरी के लिए और 7 अप्रैल, 2025 को रिटेल कैटेगरी के लिए लॉन्च किया गया था।
बयान में कहा गया है कि ओवरसब्सक्रिप्शन को देखते हुए, नॉन-रिटेल कैटेगरी के तहत, ग्रीन शू ऑप्शन का इस्तेमाल किया गया। सरकार को इस ट्रांजैक्शन से 3,673.42 करोड़ रुपए मिले।

