पेहोवा के नैसी गाँव में मारकंडा नदी में आई दरार से बुधवार को सैकड़ों एकड़ खेत जलमग्न हो गए। शाहाबाद ब्लॉक के लगभग 16 गाँवों के धान उत्पादक किसान पहले से ही नदी के पानी के कारण नुकसान की आशंका से जूझ रहे थे, वहीं नैसी में आई दरार ने उनकी मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।
पिछले महीने नदी में दरार आने के कारण नैसी और आसपास के गांवों की लगभग 500-700 एकड़ जमीन जलमग्न हो गई थी।
जानकारी के अनुसार, नैसी गाँव के पास सुबह-सुबह एक दरार आ गई, जिसके बाद नैसी और आसपास के गाँवों के निवासियों ने एक स्थानीय गुरुद्वारे की मदद से दरार को भरने के प्रयास शुरू कर दिए। सिंचाई विभाग के अधिकारी भी मौके पर पहुँच गए।
किसान जगतार सिंह ने कहा, “जुलाई में भी नदी में दरार आ गई थी और सैकड़ों एकड़ धान की फसल बर्बाद हो गई थी। दोबारा रोपाई की गई, लेकिन खेत फिर से जलमग्न हो गए हैं।”
सरपंच के नेतृत्व में जंधेरी गाँव के निवासी भी दरार को भरने के लिए पहुँचे। 200 एकड़ से ज़्यादा ज़मीन पहले ही प्रभावित हो चुकी है और फ़सलों को बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
मौके पर पहुँचे जेजेपी नेता जसविंदर खेहरा ने कहा कि नदी के कारण किसानों को लगातार नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार को उन्हें मुआवजा देना चाहिए और कोई स्थायी समाधान निकालना चाहिए।
कुरुक्षेत्र के अतिरिक्त उपायुक्त महावीर प्रसाद ने कहा, “दरार को भरने के लिए सभी कर्मचारी और मशीनें मौके पर तैनात कर दी गई हैं। स्थानीय निवासियों की मदद से स्थिति पर काबू पा लिया गया है। सिंचाई विभाग को इस समस्या का स्थायी समाधान निकालने के निर्देश दिए गए हैं।”
कृषि विभाग की एक अस्थायी रिपोर्ट के अनुसार, शाहाबाद ब्लॉक के 16 गाँवों की 3,600 एकड़ से ज़्यादा ज़मीन प्रभावित हुई है। कलसाना, तंगोर, कठवा, पट्टी झामरा, मलिकपुर, मुगल माजरा और गुमटी सबसे ज़्यादा प्रभावित हैं।
कठवा के पूर्व सरपंच अमरिंदर सिंह ने कहा, “गाँव मारकंडा नदी के किनारे बसा है और हर साल पानी के तेज़ बहाव के कारण हमें नुकसान उठाना पड़ता है। पानी खेतों से होकर बहने लगता है और गाँव की सड़कें भी जलमग्न हो जाती हैं। हमने सरकार से फसलों की सुरक्षा के लिए गाँव के किनारे एक बाँध बनवाने की माँग की है, लेकिन अभी तक कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली है। गाँव के निवासियों को आने-जाने के लिए ट्रैक्टर-ट्रॉलियों का इस्तेमाल करना पड़ता है।”
किसान हरदीप राणा ने कहा, “मैंने लगभग 45 एकड़ में धान बोया था, लेकिन पिछले कई दिनों से लगातार पानी बह रहा है और फसल जलमग्न हो गई है।”
बीकेयू (चरुनी) के प्रवक्ता राकेश बैंस ने कहा, “सरकार को गिरदावरी का आदेश देना चाहिए और उनके नुकसान के लिए 50,000 रुपये प्रति एकड़ मुआवजे की घोषणा करनी चाहिए। सरकार को क्षेत्र के खेतिहर मजदूरों को भी कुछ राहत देनी चाहिए।”