संयुक्त किसान मंच (एसकेएम) ने आज पंचकूला में आंदोलनरत किसानों से बातचीत के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त पांच सदस्यीय उच्चाधिकार प्राप्त समिति को सेब उत्पादकों के समक्ष आ रही समस्याओं से अवगत कराया। उत्पादकों ने कई समस्याओं को उजागर किया, जिससे सेब की खेती पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
उत्पादकों द्वारा उठाए गए प्रमुख मुद्दों में से एक यह था कि सस्ते आयातित सेब भारतीय बाजारों में घुस रहे हैं और घरेलू उत्पादकों के हितों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। उत्पादकों ने सुझाव दिया कि आयात नीति की समीक्षा की जानी चाहिए क्योंकि यह घरेलू उत्पादकों के बजाय विदेशी किसानों और आयातकों के पक्ष में है। उत्पादकों ने कहा कि सेब के लिए आयात नीति को चाय या मसालों के साथ जोड़ा जा सकता है, जिन पर आयात शुल्क या न्यूनतम आयात मूल्य अधिक है। सेब पर आयात शुल्क 50 प्रतिशत है और न्यूनतम आयात मूल्य 50 रुपये प्रति किलोग्राम है। उत्पादकों ने आगे सुझाव दिया कि एपीएमसी-नियंत्रित बाजार भारतीय किसानों के लिए हैं और वहां किसी भी विदेशी किसान की उपज नहीं बेची जानी चाहिए।