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सेनाध्यक्ष ने किया आधुनिक जापानी उपकरणों का मुआयना

Army Chief inspected modern Japanese equipment

 

नई दिल्ली, भारतीय थल सेनाध्यक्ष (सीओएएस) जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने अपनी जापान यात्रा के तहत फूजी में स्थित फूजी स्कूल का दौरा किया। जापान का यह मिलिट्री स्कूल, इनफार्मेशन वाॅरफेयर, बख्तरबंद युद्ध, फायरिंग और सैन्य अभ्यास सहित बुनियादी और विशेष विषयों पर सैन्य पाठ्यक्रम चलाता है। अपनी इस यात्रा के दौरान भारतीय थल सेनाध्यक्ष ने फूजी स्कूल में उपलब्ध आधुनिकतम उपकरणों और सुविधाओं का मुआयना भी किया।

जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने यहां फ़ूजी स्कूल के कमांडिंग जनरल लेफ्टिनेंट जनरल यासुयुकी कोडामा से मुलाकात की। इस दौरान उन्हें इस स्कूल के बारे में जानकारी दी गई। यहां मिलिट्री ट्रेनिंग से जुड़े फूजी सूचना स्कूल और प्रयोग विकास टीम है।

भारतीय थल सेनाध्यक्ष (सीओएएस) जनरल उपेन्द्र द्विवेदी जापान की आधिकारिक यात्रा पर थे। जनरल उपेन्द्र द्विवेदी की इस यात्रा का उद्देश्य भारत और जापान के बीच सहयोग के नए रास्ते तलाशना रहा। भारतीय रक्षा मंत्रालय का मानना है कि थल सेनाध्यक्ष की इस यात्रा से भारत और जापान की सेनाओं के बीच सैन्य सहयोग को मजबूती मिलेगी। अपनी इस यात्रा के दौरान सेनाध्यक्ष जापान के हिरोशिमा पीस पार्क व महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि भी अर्पित की।

अपनी जापान यात्रा के दौरान जनरल उपेन्द्र द्विवेदी जापान में भारतीय राजदूत सिबी जॉर्ज के साथ बातचीत की। वह टोक्यो स्थित भारतीय दूतावास में भारत-जापान संबंधों पर एक चर्चा में भी शामिल हुए थे। इसके जनरल उपेन्द्र द्विवेदी, जापान के रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ सैन्य नेतृत्व के साथ बातचीत में शामिल हुए। भारतीय सेनाध्यक्ष के साथ जापान के चीफ ऑफ स्टाफ समेत कई अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की। रक्षा मंत्रालय का कहना है कि इस चर्चा का उद्देश्य भारत और जापान के बीच मजबूत सैन्य सहयोग को बढ़ावा देना रहा।

गौरतलब है कि भारत बीते कई दिनों से जापान, अमेरिका व ऑस्ट्रेलिया के साथ नौसैनिक अभ्यास ‘मालाबार 2024’ में हिस्सा ले रहा है। चारों देशों के बीच यह संयुक्त नौसैनिक अभ्यास, भारत के विशाखापत्तनम पर किया जा रहा है। आज 18 अक्टूबर को इस अभ्यास का अंतिम दिन है। इस अभ्यास में में भाग लेने वाली नौसेनाएं सतह, उप-सतह और वायु युद्ध क्षेत्रों में अभ्यास करते हुए समुद्री युद्ध संचालन की एक विस्तृत श्रृंखला में शामिल हुईं। इस उन्नत और जटिल अभ्यास का उद्देश्य चारों देशों के बीच आपसी समझ और समन्वय को बढ़ाना रहा है। साथ ही समुद्र में एक संयुक्त कार्य बल के रूप में निर्बाध रूप से संचालन करना भी इसका उद्देश्य था।

 

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