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कारगिल युद्ध के शूरवीर कैप्टन विजयंत थापर के घर पहुंचे सेना के जवान

Army personnel reached the house of Kargil war hero Captain Vijayant Thapar

कारगिल विजय दिवस की 26वीं वर्षगांठ के अवसर पर सैन्य अधिकारी सेना के शूरवीरों के घर पहुंच रहे हैं। कारगिल युद्ध में अपने प्राण न्योछावर कर सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीर सैनिकों के स्वजनों से मुलाकात कर उन्हें सम्मानित किया जा रहा है। साथ ही सेना देश के नागरिकों को अवगत करा रही है कि इन वीर सपूतों ने अदम्य साहस और शौर्य की पराकाष्ठा दिखाते हुए किस प्रकार मां भारती के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया।

मंगलवार को भारतीय सेना के अधिकारी उत्तर प्रदेश के नोएडा स्थित भारतीय सेना के कैप्टन व वीर चक्र से सम्मानित विजयंत थापर के घर पहुंचे। यहां सैन्य अधिकारियों ने उनके पिता व भारतीय सेना के सेवानिवृत्त कर्नल वीएन थापर से मुलाकात की। सेना के अधिकारियों ने कारगिल युद्ध में शहीद हुए कैप्टन विजयंत थापर के माता पिता को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।

सेना के मुताबिक ,कारगिल युद्ध के सभी वीर सेनानियों के घर-घर जाकर सेना सम्मानपूर्वक स्मृति चिन्ह भेंट कर रही है। भारतीय सेना का कहना है, “इसके जरिए हमने अपने भावों को दर्शाया है कि हम अपने वीर साथियों को कभी नहीं भूलते और न कभी भूलेंगे। यह हमारा कर्तव्य और हमारी भावना है कि हम उनके परिजनों को बताएं कि हमारे वीर सेनानियों का बलिदान व्यर्थ नहीं गया है। हमारे वीर बलिदानियों का परिवार अकेला नहीं है, भारतीय सेना उसका परिवार है और पूरी भारतीय सेना हमेशा उनके साथ खड़ी है।”

सेना का यह कदम स्वजनों को सम्मान देने के साथ-साथ यह बताने का भी प्रयास है कि देश अपने वीर बलिदानियों को कभी नहीं भूलता है । सेना के इस कदम से मां भारती के वीर बलिदानियों के परिवार भी भावुक हो उठे। इस दौरान हर चेहरा गर्व से भरा हुआ था। सभी ने ‘भारत माता की जय’ और ‘वीर जवान अमर रहे’ के नारे लगाए।

गौरतलब है कि कारगिल युद्ध के दौरान शहीद हुए सैनिकों के 545 परिवारों से सेना के प्रतिनिधि मुलाकात कर रहे हैं। कारगिल विजय दिवस यानी 26 जुलाई तक इन सभी शहीदों के परिजनों से मुलाकात की जाएगी। सेना के मुताबिक 26 जुलाई 2025 तक चलने वाले दो माह लंबे समारोह में उन बहादुर सैनिकों को श्रद्धांजलि दी जाएगी, जिन्होंने राष्ट्र की सीमाओं की रक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया।

वर्ष 1999 में ‘ऑपरेशन विजय’ की सफलता और दुश्मन से कारगिल की चोटियों को पुन प्राप्त करने की याद में कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है। यह दिन न केवल सैन्य जीत का प्रतीक है, बल्कि राजनीतिक, कूटनीतिक और सामरिक संतुलन का उदाहरण भी है। यहां कारगिल में भारत ने युद्ध को सीमित रखने की रणनीति अपनाते हुए वीरता और संयम का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया था।

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