लखनऊ, 30 नवंबर । अफसरों के खिलाफ आरोपों की जांच एक निर्धारित समय सीमा में हो। इसकी मांग अब विधायिका से उठने लगी है। उत्तर प्रदेश विधान परिषद में भाजपा के एमएलसी विजय बहादुर पाठक ने मांग की है कि 110 सूचना के तहत सांसद-विधायक की तरह नौकरशाही पर चल रहे भ्रष्टाचार के केसों के लिए एक व्यवस्था बने, जिससे इन पर लगे आरोपों की जांच हो सके।
गुरुवार को सदन में इस मुद्दे को उठाते हुए एमएलसी ने चर्चा की मांग की। भाजपा के एमएलसी ने कहा कि सांसद या विधायक पर होने वाले मुकदमों की सुनवाई के लिए एमपी एमएलए कोर्ट हैं। मगर अफसरों के खिलाफ होने वाली शिकायतों की जांच और उन पर कार्रवाई के लिए कोई व्यस्था नहीं है। कई बार तो अफसरों के खिलाफ होने वाली जांच में इतनी देर हो जाती है कि अफसर रिटायर हो जाते हैं। मगर उनके खिलाफ कोई करवाई नहीं हो पाती है।
इस बारे में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के सेवानिवृत्त योगेंद्र नारायण का कहना है कि जिस प्रकार से सांसद और विधायक के लिए भ्रष्ट्राचार और अपराध के मामले सुनने के लिए एमपी एमएलए कोर्ट बनी है। ऐसी नौकरशाह के लिए भी कोर्ट जैसी व्यवस्था होनी चाहिए, क्योंकि नौकरशाह सरकार को प्रस्तुत करते हैं। इनके ऊपर चल रहे कदाचार के मामले पर शीघ्र सुनवाई की व्यवस्था होनी चहिए।