स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में हाल ही में हुई हिंसा की निंदा की है। एसएफआई ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के सभी कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की मांग की। एसएफआई के सदस्यों ने कहा कि एबीवीपी कार्यकर्ताओं के खिलाफ बीएनएस की धारा 109 के साथ-साथ अन्य संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया जाना चाहिए।
एसएफआई के राज्य सचिव दिनित डेंटा ने बताया कि 11 मार्च को एबीवीपी, भाजपा और आरएसएस के करीब 40 से 50 कार्यकर्ताओं ने एसएफआई कैंपस अध्यक्ष समेत पांच छात्रों पर यूनिवर्सिटी कैंपस के अंदर धारदार हथियारों से हमला किया। उन्होंने बताया, “छह छात्रों को गंभीर चोटें आईं और एक छात्र का अभी भी आईजीएमसी में इलाज चल रहा है।”
उन्होंने कहा, “हमला इसलिए किया जा रहा है क्योंकि शिक्षक और छात्र अपने मूल अधिकारों के लिए लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। विश्वविद्यालय की वित्तीय स्थिति बहुत खराब है और संसाधन जुटाने की आड़ में प्रशासन छात्रों के लिए बुनियादी सुविधाओं में कटौती कर रहा है।”
उन्होंने कहा, “अस्थायी नियुक्तियां की जा रही हैं और आउटसोर्स भर्ती को लेकर शिक्षकों, गैर-शिक्षण कर्मचारियों और छात्रों की ओर से कड़ा विरोध किया जा रहा है। एसएफआई सक्रिय रूप से वर्ष 2019-20 में किए गए प्रोफेसरों की अवैध नियुक्तियों की जांच की मांग कर रही है, जिसमें भाजपा और आरएसएस से जुड़े लोगों को अवैध रूप से नियुक्त किया गया था।” “छात्रों की बढ़ती भागीदारी एबीवीपी की हताशा और आक्रामकता को उजागर करती है, जिसने जवाब में जानलेवा हमला किया।
डेंटा ने कहा, “ऐसे कई उदाहरण हैं जहां एबीवीपी ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय सहित शैक्षणिक संस्थानों में शैक्षणिक माहौल को खराब किया है।”
उन्होंने मौजूदा सरकार पर आरएसएस द्वारा शिक्षा में सांप्रदायिकता को रोकने में विफल रहने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “जबकि राष्ट्रीय कांग्रेस नेतृत्व आरएसएस से लड़ने की बात करता है, वहीं राज्य कांग्रेस उनके सामने आत्मसमर्पण करती दिख रही है, जो पार्टी के दोहरे मानदंडों को उजागर करता है।”
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