मुंबई, 10 अक्टूबर । मुंबई की एक सत्र अदालत ने मंगलवार को मशहूर कलाकार चिंतन उपाध्याय को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। उन्हें दिसंबर 2015 में अपनी अलग रह रही पत्नी हेमा उपाध्याय, जो उन्हीं की तरह प्रसिद्ध कलाकार थीं और उनके वकील की सनसनीखेज दोहरी हत्या के लिए आपराधिक साजिश रचने और उकसाने का दोषी पाया गया था।
उपाध्याय (50) के साथ उनके तीन सहयोगियों – विजय राजभर नामक एक टेम्पो चालक और सहायक प्रदीप राजभर और शिवकुमार राजभर को भी जेल में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।
विद्याधर राजभर नाम के एक आर्ट फैब्रिकेटर के लिए काम करने वाली राजभर तिकड़ी को कलाकार हेमा उपाध्याय और उनके वकील हरेश भंभानी की हत्या और सबूतों को नष्ट करने का दोषी पाया गया।
विशेष लोक अभियोजक वैभव बागड़े के नेतृत्व में अभियोजन पक्ष ने दोहरे हत्याकांड के लिए उपाध्याय और राजभर तिकड़ी के लिए मौत की सजा की मांग की थी, क्योंकि यह मामला ‘बर्बर’ और ‘दुर्लभ से दुर्लभतम’ श्रेणी में आता है।
उपाध्याय के वकील राजा ठाकरे ने मौत की सजा के खिलाफ दृढ़ता से तर्क दिया और बताया कि अपराधी से संबंधित एक भी परिस्थिति अदालत के सामने नहीं रखी गई। उन्होंने कहा कि भंभानी की मौत के लिए उनके मुवक्किल (उपाध्याय) को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, जिन्हें उकसाने का दोषी पाया गया था, अपराध करने और दोहरे हत्याकांड में शामिल होने का नहीं।
11 दिसंबर 2015 को दोषी राजभरों ने हेमा और भंभानी की कांदिवली पश्चिम स्थित उनके स्टूडियो में गला दबाकर हत्या कर दी थी। उनके शवों को भूरे रंग के बक्सों में पैक किया गया और पास की एक खाई में फेंक दिया गया।
गटर के पानी में तैरते बक्सों में छिपे शवों को चार दिनों के बाद 15 दिसंबर को खोजा गया, जिससे शहर के कला जगत में सदमे की लहर दौड़ गई।
हेमा उपाध्याय सेलिब्रिटी आर्टिस्ट थीं, इसलिए उनकी हत्या पर हंगामे को देखते हुए त्वरित पुलिस जांच के बाद दोहरे हत्याकांड के 10 दिन बाद चिंतन उपाध्याय को गिरफ्तार कर लिया गया।
सितंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जमानत दिए जाने तक वह जेल में रहे।
सत्र अदालत ने पिछले शुक्रवार को चारों को दोषी पाया था और अब आजीवन कारावास की सजा के बाद उपाध्याय को फिर से हिरासत में ले लिया गया है।
राजस्थान के रहने वाले चित्रकार और मूर्तिकार चिंतन उपाध्याय ने 1998 में गुजरात की कलाकार और मूर्तिकार हेमा हिरानी (43) के साथ प्रेम-विवाह किया था, लेकिन शादी के लगभग 16 साल बाद 2014 में उनका तलाक हो गया।
तलाक के बाद चिंतन उपाध्याय दिल्ली में बस गए, जबकि हेमा एक साल बाद अपनी हत्या तक मुंबई में ही रहीं।