January 15, 2025
Rajasthan

आसाराम अंतरिम जमानत पर रिहा, जोधपुर आश्रम लौटे

Asaram released on interim bail, returns to Jodhpur ashram

जयपुर, 15 जनवरी । 2013 के बलात्कार मामले में राजस्थान हाईकोर्ट से अंतरिम जमानत मिलने के बाद स्वयंभू संत आसाराम मंगलवार देर रात रिहा हो गए। इसके बाद वह जोधपुर स्थित पाल गांव के अपने आश्रम में पहुंचे, जहां उनके ‘सेवादारों’ ने आतिशबाजी कर उनका स्वागत किया।

जोधपुर के मणाई आश्रम में नाबालिग शिष्या से बलात्कार के मामले में गिरफ्तारी के बाद 2 सितंबर 2013 को आसाराम को जेल में डाल दिया गया था। 25 अप्रैल 2018 को जोधपुर की विशेष पॉक्सो कोर्ट ने उसे दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। 11 साल 4 महीने और 12 दिन की सजा काटने के बाद उन्हें स्वास्थ्य आधार पर अंतरिम जमानत मिल गई।

राजस्थान हाईकोर्ट ने आसाराम को उनकी उम्र और बिगड़ते स्वास्थ्य का हवाला देते हुए 31 मार्च तक जमानत दे दी। उनके वकील निशांत बोरदा ने कहा कि जमानत आवेदन में 7 जनवरी के सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व फैसले का हवाला दिया गया है, जिसमें गुजरात के एक अलग मामले में जमानत दी गई थी।

कोर्ट ने जमानत के लिए कुछ शर्तें लगाईं हैं, जिनमें आसाराम अपने अनुयायियों से समूह में नहीं मिल सकते, सभाओं को संबोधित नहीं कर सकते या मीडिया से बात नहीं कर सकते, उन्हें अपने साथ तैनात तीन सुरक्षाकर्मियों का खर्च उठाना होगा। इसके अलावा, उन्हें देश भर में किसी भी आश्रम में रहने और आश्रम या अस्पताल में इलाज कराने की अनुमति शामिल है।

आसाराम ने इससे पहले गुजरात के सूरत स्थित एक आश्रम की महिला अनुयायी से बलात्कार के मामले में जमानत मांगी थी। सुप्रीम कोर्ट ने 7 जनवरी को उन्हें मेडिकल शर्तों के आधार पर अंतरिम जमानत दी थी। हालांकि, जोधपुर बलात्कार मामले में उन्हें हाईकोर्ट के इस फैसले तक कोई राहत नहीं मिली।

आसाराम को कई मामलों में दोषी पाया गया है, जिसमें जोधपुर मामला भी शामिल है। इस मामले में उन्हें साल 2013 में गिरफ्तार किया गया था और 2018 में नाबालिग से बलात्कार के लिए दोषी ठहराया गया था। मामले में कोर्ट ने उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

एक अन्य मामले में उन्हें 31 जनवरी, 2023 को गुजरात के गांधीनगर में एक आश्रम में एक महिला के साथ बलात्कार करने के लिए दोषी ठहराया गया था। इस मामले में उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। आसाराम की अंतरिम जमानत 31 मार्च तक प्रभावी रहेगी, जिसके बाद आगे के कानूनी फैसले उनकी स्थिति निर्धारित करेंगे।

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