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मितव्ययिता कदम: अब अध्ययन अवकाश पर गए हिमाचल सरकार के कर्मचारियों को 40% वेतन मिलेगा

Austerity step: Now Himachal government employees on study leave will get 40% salary

शिमला, 10 अगस्त हिमाचल प्रदेश सरकार के कर्मचारी जो 24 महीने की अध्ययन छुट्टी लेते हैं, उन्हें अब इस अवधि के दौरान पूरा वेतन नहीं मिलेगा। राज्य सरकार ने नियमों में संशोधन किया है और अब अध्ययन छुट्टी पर गए कर्मचारियों को पूरे वेतन का केवल 40 प्रतिशत ही मिलेगा।

वित्त विभाग ने आज हिमाचल प्रदेश में लागू केंद्रीय सिविल सेवा (अवकाश) नियम, 1972 के नियम 16 ​​के उपनियम (5) में संशोधन किया है। संशोधन के अनुसार, विदेश या भारत में अध्ययन अवकाश पर जाने वाले किसी भी कर्मचारी को उसकी अंतिम नियुक्ति के समय प्राप्त वेतन का केवल 40 प्रतिशत ही मिलेगा, साथ ही महंगाई भत्ता और मकान किराया भत्ता भी मिलेगा।

यह निर्णय हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा अपनी वित्तीय सेहत सुधारने के लिए हर संभव व्यय में कटौती करने की पहल का हिस्सा है। सरकार ने कल प्रशासनिक विभागों को अपने सभी कर्मचारियों को दो साल तक की अध्ययन छुट्टी देने के लिए पहले से सौंपी गई शक्तियों को वापस ले लिया था। नई व्यवस्था के लिए रास्ता साफ करने के लिए इस संबंध में 8 अक्टूबर 1986 के आदेश को वापस ले लिया गया। अब दो साल की अध्ययन छुट्टी देने के संबंध में कोई भी निर्णय वित्त विभाग ही लेगा।

छुट्टी अवधि के वेतन की प्राप्ति भी वित्त विभाग से इस प्रमाण पत्र के अधीन होगी कि अधिकारी किसी अंशकालिक रोजगार के संबंध में किसी भी छात्रवृत्ति, वजीफे या पारिश्रमिक की प्राप्ति में नहीं है। अध्ययन अवकाश के दौरान किसी भी छात्रवृत्ति, वजीफे या पारिश्रमिक की प्राप्ति के मामले में, यह राशि छुट्टी वेतन के विरुद्ध समायोजित की जाएगी।

राज्य पर कर्ज का बोझ 85,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है और सरकार को अपने 2.50 लाख से अधिक कार्यरत और 1.90 लाख सेवानिवृत्त कर्मचारियों के वेतन और पेंशन बिल का भुगतान करना मुश्किल हो रहा है। पुरानी पेंशन योजना की बहाली ने राज्य सरकार की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं, जिससे उसे वित्तीय समझदारी से काम लेने पर मजबूर होना पड़ रहा है।

2023-24 में वेतन, पेंशन और ब्याज भुगतान पर कुल व्यय राज्य सरकार के व्यय का 46.33 प्रतिशत था। वर्तमान में राज्य में पेंशनभोगियों की संख्या 1,89,466 है, जो 2030-31 में बढ़कर 2,38,827 हो जाने की उम्मीद है। इससे राज्य पर सालाना करीब 20,000 करोड़ रुपये का पेंशन बोझ पड़ेगा।

नकदी संकट से जूझ रही हिमाचल प्रदेश सरकार का वार्षिक वेतन और पेंशन बिल बढ़कर 26,722 करोड़ रुपये हो गया है। केंद्र सरकार से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) आवंटन समाप्त होने के कारण राज्य पर गंभीर वित्तीय संकट मंडरा रहा है।

बेल्ट कसना सरकार ने गुरुवार को प्रशासनिक विभागों को अपने सभी कर्मचारियों को दो वर्ष तक का अध्ययन अवकाश देने के लिए दी गई शक्तियों को वापस ले लिया था। नई प्रणाली का मार्ग प्रशस्त करने के लिए इस संबंध में 8 अक्टूबर 1986 का आदेश वापस ले लिया गया। अब दो वर्ष के लिए अध्ययन अवकाश देने के संबंध में कोई भी निर्णय वित्त विभाग लेगा।

राज्य पर कर्ज का बोझ 85,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है और सरकार को अपने 2.50 लाख से अधिक कार्यरत और 1.90 लाख सेवानिवृत्त कर्मचारियों के वेतन और पेंशन बिल का भुगतान करना मुश्किल हो रहा है। नकदी संकट से जूझ रही हिमाचल सरकार का वार्षिक वेतन और पेंशन बिल बढ़कर 26,722 करोड़ रुपये हो गया है।

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