December 11, 2025
Haryana

आयुर्वेद चिकित्सा की कुंजी है श्री कृष्णा विश्वविद्यालय के कुलपति

Ayurveda is the key to medicine, says Vice Chancellor of Sri Krishna University

श्री कृष्णा आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर वैद्य करतार सिंह धीमान ने कहा कि शास्त्र और रोगी एक वैद्य के दो सबसे बड़े शिक्षक हैं। उन्होंने ये टिप्पणियां राज्य स्तरीय “आयुर्वैद्य संवाद” नामक एक दिवसीय सीएमई कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में कीं, जिसका आयोजन आयुष विभाग द्वारा बुधवार को विश्वविद्यालय सभागार में किया गया था।

“प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों का हर शब्द गहन अनुभव पर आधारित है और शाश्वत प्रासंगिकता रखता है,” प्रोफेसर धीमान ने कहा। “एक सच्चा वैद्य केवल दवाओं से ही नहीं, बल्कि उचित आहार, जीवनशैली मार्गदर्शन और नैतिक परामर्श के माध्यम से भी रोगी का स्वास्थ्य सुधारता है। आज भी, दुनिया भर में कई लोग अनुशासित दिनचर्या और प्राकृतिक जीवनशैली अपनाकर स्वस्थ हो रहे हैं।”

नव नियुक्त आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारियों को संबोधित करते हुए, प्रोफेसर धीमान ने इस बात पर प्रकाश डाला कि सामाजिक सम्मान और पेशेवर उत्कृष्टता केवल निरंतर परिश्रम से ही प्राप्त होती है। “भगवद् गीता का पहला शब्द पुरुषार्थ का प्रतीक है – यानी सही प्रयास। कर्म ही प्रयास है, और प्रयास ही पुरुषार्थ है। आयुर्वेद केवल एक अकादमिक विषय नहीं है, बल्कि एक समग्र जीवनशैली है जिसे समाज के हित में जीना और लागू करना आवश्यक है।”

उन्होंने कहा कि विद्या बल, चरित्र बल, नीति बल और धर्म बल वैद्य के जीवन के चार स्तंभ हैं, जिन्हें दैनिक अनुशासन, चिंतन और ज्ञान के माध्यम से ही प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने आगे कहा, “कोविड-19 के दौरान दुनिया ने आयुर्वेद की शक्ति देखी और आयुर्वेद से वैश्विक अपेक्षाएं लगातार बढ़ रही हैं।”

आईएएस एवं आर के प्रिंसिपल, प्रोफेसर आशीष मेहता ने कहा कि एक सफल वैद्य का व्यक्तित्व केवल ज्ञान से ही नहीं, बल्कि विनम्रता, करुणा और नैतिक आचरण से भी बनता है। उन्होंने चिकित्सा अधिकारियों से अपने पेशेवर जीवन में निरंतर सीखने, अनुशासन और संवेदनशीलता को आवश्यक मानते हुए इसे अपनाने का आग्रह किया और इस बात पर जोर दिया कि एक वैद्य को समाज की प्रभावी सेवा करने के लिए पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक समझ के बीच संतुलन बनाए रखना चाहिए।

इस कार्यक्रम में आयुष विभाग के नोडल अधिकारी डॉ. चंदन दुआ के साथ-साथ डॉ. दिलीप मिश्रा, डॉ. गोपेश मंगल, श्री धनवंतरी आयुर्वेदिक कॉलेज, चंडीगढ़ के प्रिंसिपल डॉ. शंकर, एनसीआईआईएसएम, नई दिल्ली के डॉ. अतुल वाशने, जिला आयुर्वेदिक अधिकारी डॉ. मंजू, डॉ. मोहित गुप्ता और कई अन्य विशेषज्ञों ने भाग लिया।

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