धन की कमी के कारण औद्योगिक क्षेत्र में प्रमुख विकास कार्य रुक गए हैं, क्योंकि बद्दी बरोटीवाला नालागढ़ विकास प्राधिकरण (बीबीएनडीए) को पिछले और चालू वित्त वर्ष के लिए वार्षिक बजट के रूप में केवल 2-2 लाख रुपये आवंटित किए गए हैं।
निवेशकों का कहना है कि यह एक छोटी सी रकम है बद्दी बरोटीवाला नालागढ़ विकास प्राधिकरण (बीबीएनडीए) को पिछले और चालू वित्त वर्ष के लिए वार्षिक बजट के रूप में केवल 2-2 लाख रुपये मिले हैं। विकास प्राधिकरण को पहले भी करोड़ों रुपये का उदार अनुदान प्राप्त हुआ था, जिससे वह सड़क मरम्मत जैसे अनेक विकास कार्य कराने में सक्षम हुआ।
इसे 2020-2021 में ~ 42.07 करोड़, 2021- 2022 में ~ 21.57 करोड़, 2022-23 में ~ 20 करोड़ प्राप्त हुए निवेशकों ने इस बात पर अफसोस जताया कि संपर्क सड़कों और गलियों को सुंदर बनाने, जलापूर्ति में सुधार आदि की मांग को देखते हुए बजट को बहुत कम कर दिया गया है। उल्लेखनीय है कि विकास प्राधिकरण को पहले भी करोड़ों रुपए का उदार अनुदान मिला है, जिससे वह सड़क मरम्मत जैसे कई विकास कार्य कर सका है। 2020-2021 में इसे 42.07 करोड़ रुपए और 2021-2022 में 21.57 करोड़ रुपए मिले। इसके अलावा राज्य सरकार ने 2022-23 में 20 करोड़ रुपए दिए हैं।
निवेशक राज्य सरकार से 100 करोड़ रुपये के अनुदान की मांग कर रहे हैं, क्योंकि वे कर का भुगतान करते हैं और राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में बड़ा योगदान देते हैं।
इस क्षेत्र में लगभग 1,800 औद्योगिक घराने हैं, जो राज्य के 90 प्रतिशत से अधिक उद्योग का प्रतिनिधित्व करते हैं।
बद्दी बरोटीवाला नालागढ़ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव अग्रवाल ने आरोप लगाया कि बीबीएनडीए एक शक्तिहीन निकाय बन गया है, “हम लगातार राज्य सरकार से प्राधिकरण को 100 करोड़ रुपये का वार्षिक बजट देने की मांग कर रहे हैं ताकि उसे बुनियादी ढांचे के विकास कार्यों के लिए धन की कमी का सामना न करना पड़े।”
निवेशकों ने अफसोस जताया कि बजट को घटाकर मात्र 2 लाख रुपये कर दिया गया है, जो संपर्क सड़कों व गलियों को सुधारने, जलापूर्ति में सुधार आदि की मांग को देखते हुए बहुत कम है। उन्होंने तर्क दिया कि हालांकि यह कार्य बद्दी व नालागढ़ नगर परिषदों द्वारा भी किया जाता है, लेकिन वे केवल इन दो शहरों की जरूरतों को पूरा करते हैं।
राज्य की खराब वित्तीय स्थिति इस प्राधिकरण के लिए किए गए बजटीय प्रावधान में परिलक्षित होती है तथा यह राज्य सरकार द्वारा इस प्रमुख औद्योगिक क्लस्टर को दिए गए महत्व में कमी को भी दर्शाता है।
निवेशकों ने अफसोस जताया कि हालांकि वे राज्य में प्रमुख रोजगार प्रदाता हैं, लेकिन राज्य सरकार की उदासीनता इस क्लस्टर में नागरिक सुविधाओं के रखरखाव के लिए अच्छी बात नहीं है।
चूंकि बहुराष्ट्रीय कंपनियां अक्सर अपने विदेशी कार्यालयों से विदेशी गणमान्यों का स्वागत करती हैं, इसलिए सड़कों की खराब स्थिति, बहता सीवेज, अनुचित कचरा प्रबंधन, व्यवसायिक निवेश के लिए राज्य की अपर्याप्त तैयारी को दर्शाता है।
विधानसभा सत्र में इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर जवाब देते हुए सरकार ने कहा कि प्राधिकरण ने विभिन्न शुल्कों से अपने लिए धन जुटाया है और पिछले वर्षों का लंबित अव्ययित धन निकाय के पास अपनी देनदारियों को पूरा करने के लिए उपलब्ध है। कोविड महामारी को भी राज्य की वित्तीय स्थिति में गिरावट का कारण बताया गया। हालांकि, राज्य सरकार की यह दलील बेबुनियाद है क्योंकि भाजपा सरकार ने कोविड-19 के दौर में भी प्राधिकरण को करोड़ों रुपए दिए थे।