नई दिल्ली, नशीले पदार्थ लंबे समय से आईएसआई के लिए अपने टेरर इंफ्रास्ट्रक्चर को फंड करने का एक बड़ा जरिया रहे हैं। इस बीच भारतीय एजेंसियां अलर्ट मोड में हैं और आईएसआई के समर्थन से फल फूल रहे दाऊद इब्राहिम के नारकोटिक्स बिजनेस पर शिकंजा कस रही हैं। नतीजतन, डी कंपनी को अपना नेटवर्क बढ़ाना पड़ रहा है ताकि नुकसान की भरपाई कर सके।
डी-सिंडिकेट ने अब बांग्लादेश में अपना अड्डा बना लिया है और नशीले पदार्थों के व्यापार को और बढ़ाने के लिए सऊदी अरब में भी विस्तार की योजना बना रहा है। भारत में सिंडिकेट अपने पैर नहीं पसार पा रहा है इसलिए बांग्लादेश को अच्छे विकल्प के तौर पर सेट कर रहा है।
आईएसआई ने डी-सिंडिकेट को निर्देश दिया है कि वह भारत में ड्रग्स बांग्लादेश के रास्ते पहुंचाए। वहां की वर्तमान अंतरिम सरकार का पाकिस्तान के प्रति रवैया दोस्ताना है, और आईएसआई इसी स्थिति का पूरा फायदा उठा रहा है।
आईएसआई ने दाऊद गैंग से यह भी कहा है कि वह बांग्लादेश का इस्तेमाल सिर्फ भारत के लिए ही नहीं, बल्कि पश्चिमी और मध्य पूर्वी देशों में भी ड्रग्स तस्करी के लिए करे। गैंग ने ड्रग्स के व्यापार को अंजाम देने के लिए बड़ी संख्या में युवाओं की भर्ती भी की है। म्यांमार से ऑपरेट होने वाले ड्रग माफिया के साथ भी संबंध बढ़ाए हैं।
इंटेलिजेंस ब्यूरो के एक अधिकारी का कहना है कि आशंका है कि बांग्लादेश में ऑपरेशन को बड़े स्तर पर अंजाम दिया जाएगा। इनपुट है कि आईएसआई नशीले पदार्थों की तस्करी में बांग्लादेश को अपना मुख्य ऑपरेटिंग सेंटर बनाने के लिए सभी संभावित संसाधनों का इस्तेमाल करेगा।
इसका मतलब यह होगा कि फोकस पाकिस्तान से हट जाएगा, जो ड्रग्स ट्रेड का मुख्य केंद्र रहा है। या इसे यूं समझा जा सकता है कि जब फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) जैसे संगठन टेरर फंडिंग की जांच करेंगे, तो उंगली पाकिस्तान की ओर नहीं बल्कि बांग्लादेश की ओर मुड़ जाएगी।
पाकिस्तान अपनी खस्ताहाल अर्थव्यवस्था के कारण एफएटीएफ के रेडार पर नहीं आना चाहता। आईएसआई की ग्रे लिस्ट में वापस आने का मतलब सीधा होगा कि पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो गई है। इस्लामाबाद यह बर्दाश्त नहीं कर सकता, क्योंकि उस पर चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर प्रोजेक्ट 2.0 (सीपीईसी) को फंड करने के लिए चीन का दबाव है।
पाकिस्तान सऊदी अरब के बाजार पर भी नजर रख रहा है। यह आत्मविश्वास इस बात से आता है कि दोनों देशों ने एक परमाणु सुरक्षा और सैन्य समझौता किया है। यह सहयोग कुछ ऐसा है जिसका आईएसआई फायदा उठाना चाहेगा। दाऊद गैंग पहले से ही सऊदी अरब में अपना धंधा बढ़ाने की जुगाड़ में युवाओं को चिन्हित कर रहा है।
मकसद वहां रहने वाले पाकिस्तानी नागरिकों की मदद से सऊदी अरब के अंदर ड्रग्स सप्लाई चेन को मजबूत करना है। हालांकि, भारतीय अधिकारियों के अनुसार, टारगेट वे लोग नहीं होंगे जो सऊदी अरब में कानूनी रूप से रह रहे हैं। वहां कई लोग अवैध रूप से रहते हैं, और वे डी-सिंडिकेट के टारगेट ऑडियंस होंगे। उनके अवैध रूप से रहने का फायदा उठाकर आईएसआई उन्हें दाऊद गैंग के लिए काम करने पर मजबूर करेगा।
लगभग दस साल पहले, दाऊद नेटवर्क ने अल-कायदा और बोको हराम दोनों के साथ बिजनेस किया था। हालांकि, कुछ समय बाद यह बंद हो गया था। इंटेलिजेंस एजेंसियों के अनुसार,अब ये संबंध एक बार फिर से शुरू हो गए हैं। इसका मतलब है कि ये दोनों आतंकी ग्रुप अब भारी रकम के बदले दाऊद नेटवर्क को ड्रग्स सप्लाई करेंगे। इन दोनों आतंकी ग्रुप्स का एक नेटवर्क है जो नशीले पदार्थों के व्यापार से जुड़ा है, और यह सिंडिकेट के काम आएगा।
इस नेटवर्क को दाऊद का भाई अनीस इब्राहिम संभालेगा, जैसा कि उसने पहले भी किया था। अल-कायदा और बोको हराम दोनों को फंड की जरूरत है। वे बड़ी रकम जुटाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि बड़े पैमाने पर लोगों को भर्ती कर सकें और उन्हें ट्रेनिंग दे सकें।
एक अधिकारी ने बताया कि आईएसआई बड़े पैमाने पर नार्कोटिक्स ट्रेड को बढ़ा रहा है। इसके लिए जरूरी है कि एक साथ मिलकर प्रयास किया जाए और अगर ऐसा होता है तभी इस मामले से निपटा जा सकता है।

