उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को 1995 के बेअंत सिंह हत्याकांड के दोषी जगतार सिंह हवारा की याचिका पर सुनवाई दो सप्ताह के लिए स्थगित कर दी, जिसमें उसे राष्ट्रीय राजधानी की तिहाड़ जेल से पंजाब की जेल में स्थानांतरित करने की मांग की गई थी।
भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई स्थगित कर दी। सीजेआई गवई 23 नवंबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं।
हवारा (54) ने इस आधार पर पंजाब की जेल में अपना स्थानांतरण करने की मांग की है कि जेल में उनका आचरण अच्छा रहा, अपराध सामाजिक अशांति के समय किया गया और उनकी बेटी पंजाब में रहती है। उन्होंने तर्क दिया है कि जेल तोड़ने की घटना में शामिल सभी सह-आरोपी पंजाब की जेलों में बंद थे और महानिदेशक (कारागार) ने लगभग आठ साल पहले 7 अक्टूबर, 2016 को उन्हें पंजाब की जेल में स्थानांतरित करने की सिफारिश की थी। उन्होंने यह भी दावा किया कि दिल्ली में उनके खिलाफ एक भी मामला लंबित नहीं है और वह पंजाब में लंबित एक मामले की सुनवाई में शामिल होने में असमर्थ हैं।
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह और 16 अन्य लोग 31 अगस्त, 1995 को चंडीगढ़ में सिविल सचिवालय के बाहर हुए विस्फोट में मारे गए थे। हवारा को 21 सितंबर, 1995 को गिरफ्तार किया गया था।
विशेष सीबीआई अदालत ने 2007 में बलवंत सिंह राजोआना और जगतार सिंह हवारा को मौत की सजा सुनाई थी, जबकि सह-आरोपी लखविंदर सिंह, गुरमीत सिंह और शमशेर सिंह को पूर्व मुख्यमंत्री की हत्या की साजिश रचने के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
हालाँकि, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने अक्टूबर 2010 में हवारा की सज़ा को आजीवन कारावास में बदल दिया और उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अभियोजन पक्ष की अपील सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है। राजोआना की दया याचिका 12 साल से ज़्यादा समय से लंबित है।
शीर्ष अदालत ने 27 सितंबर, 2024 को हवारा की याचिका पर केंद्र और दिल्ली तथा पंजाब सरकारों को नोटिस जारी किया था, जिसमें उसे दिल्ली की तिहाड़ जेल से पंजाब की जेल में स्थानांतरित करने की मांग की गई थी।

