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बिहार में चुनाव के पूर्व शराबबंदी कानून की विफलता की तोड़ खोजने में जुटी नीतीश सरकार

Before the elections in Bihar, Nitish government is busy in finding a solution to the failure of prohibition law.

पटना, 5 जनवरी । बिहार में शराबबंदी कानून को विफल बताकर सरकार पर विपक्ष लगातार निशाना साधती रही है। इस साल होने वाले लोकसभा चुनाव में विपक्ष इस मुद्दे को हथियार के रूप में इस्तेमाल नहीं करे, इससे सचेत नीतीश कुमार की सरकार पहले से ही इसकी तोड़ खोजने में जुटी है।

नीतीश सरकार शराबबंदी कानून की सफलता को लेकर पूरे प्रदेश में एक सर्वे कराने जा रही है। सरकार इस सर्वे के जरिए शराबबंदी के फायदे और लोग इसे लेकर क्या सोचते हैं, जानने की कोशिश करेगी।

बिहार के विपक्षी दलों की ओर से लगातार शराबबंदी को लेकर सवाल उठाए जाते रहे हैं। आरोप लगाया जाता है कि राज्य में शराबबंदी फेल है और जहरीली शराब पीकर गरीब जनता मर रही है। भाजपा जहां इसकी समीक्षा की मांग करती रही है। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने शराब पर गुजरात मॉडल लागू करने की मांग की है।

बिहार के मद्य निषेध एवं निबंधन मंत्री सुनील कुमार ने शराबबंदी सर्वे को लेकर कहा कि एजेंसी का चयन किया जा रहा है। चयनित एजेंसी से राज्य भर में डिटेल सर्वे कराया जाएगा। मंत्री ने कहा कि सर्वे विस्तृत हो, इसके लिए अनुभवी एजेंसी की तलाश की जा रही है। कई कंपनियों के प्रस्ताव आए हैं, जिनमें से दो- तीन कंपनी को शॉर्ट लिस्ट किया गया है। देखा जा रहा है कि किस एजेंसी के काम करने का तरीका बेहतर है, जिससे आम जनों को भी परेशानी नहीं हो।

मंत्री ने संभावना जताते हुए कहा कि जल्द ही सर्वे का काम शुरू हो जाएगा।

उल्लेखनीय है कि बिहार में शराबबंदी कानून के बावजूद प्रतिदिन किसी न किसी इलाके से शराब की खेप बरामदगी की खबरें आती रहती हैं। शराबबंदी के बाद भी प्रदेश में जहरीली शराब से मौत का सिलसिला थम नहीं रहा है।

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