वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर देश की शीर्ष अदालत में बुधवार को अहम सुनवाई होने जा रही है। सीजीआई संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ दलीलें सुनेगी। बेंच में न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथ शामिल हैं। भाजपा की बिहार इकाई के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने इस कानून को लेकर विपक्षी दलों की आलोचनाओं को गुमराह करने वाला करार दिया है।
दिलीप जायसवाल ने कहा, ” वक्फ बोर्ड का गठन पसमांदा और गरीब मुसलमानों के भले के लिए हुआ था, लेकिन कुछ लोगों ने उस पर कब्जा जमा लिया था। ऐसे लोगों से छुटकारा दिलाने और पारदर्शिता लाने के लिए लोकतांत्रिक तरीके से जेपीएससी (जॉइंट पब्लिक सर्विस कमिशन) का गठन किया गया और करोड़ों लोगों से राय लेने के बाद ही यह कानून लाया गया है।”
उन्होंने विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा, ” कुछ ताकतें इस कानून को लेकर जनता में भ्रम फैला रही हैं, जैसे पहले सीएए को लेकर मुसलमानों को भड़काने का प्रयास किया गया था। लेकिन सीएए लागू होने के बाद कोई भी भारतीय मुसलमान इससे प्रभावित नहीं हुआ, उसी तरह इस कानून को भी एक साल तक देखा जाना चाहिए। अगर किसी भी वर्ग को लगे कि इसमें सुधार की जरूरत है तो सरकार उसके लिए तैयार है।”
जायसवाल ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद देश के मुसलमानों के हितों की चिंता करते हैं और यह कानून भी उनके कल्याण को ध्यान में रखकर लाया गया है। उन्होंने ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि वह मुसलमानों को भड़काकर अपना वोट बैंक मजबूत करना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि भारत का मुसलमान न तो हिंसक है और न ही विध्वंसक, लेकिन ममता बनर्जी जैसे नेता उन्हें गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं।
प्रदेश अध्यक्ष ने जनता से अपील की कि इस कानून को राजनीति की बजाय विकास और सुधार के नजरिए से देखें और पहले छह महीने से एक साल तक इसे अमल में लाकर उसके प्रभाव को महसूस करें। अगर तब भी किसी को कोई आपत्ति होगी, तो सरकार उसमें आवश्यक संशोधन करने को तैयार है।
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