फ़रीदाबाद, 23 मई राजनीतिक संबद्धता को लेकर भड़ाना परिवार में विभाजन ने भाजपा और कांग्रेस के बीच प्रतिस्पर्धा को बढ़ा दिया है, जिन्होंने गुर्जर नेताओं को मैदान में उतारा है। माना जाता है कि विजेता के भाग्य का फैसला करने में समुदाय एक प्रमुख कारक होता है।
एक राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं, “मुकाबला तब दिलचस्प हो गया जब कांग्रेस ने भाजपा उम्मीदवार कृष्ण पाल गुर्जर के प्रतिद्वंद्वी और एक गुर्जर नेता महेंद्र प्रताप सिंह को अपना उम्मीदवार घोषित किया।” लेकिन पूर्व सांसद अवतार सिंह भड़ाना और उनके भाई पूर्व मंत्री करतार सिंह द्वारा कांग्रेस और भाजपा उम्मीदवारों को समर्थन देने के फैसले से गुर्जर वोटों में भारी विभाजन की अटकलें लगाई जा रही हैं। पिछले तीन दशकों से दोनों भाई राजनीतिक क्षेत्र में एक ताकत रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषक देवेंदर सिंह कहते हैं, ”जाट, दलित, मुस्लिम, ब्राह्मण, ठाकुर और वैश्य जैसे गैर-गुर्जर मतदाता ही उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे।” उन्होंने कहा कि हालांकि इस निर्वाचन क्षेत्र में जाट वोट सबसे ज्यादा हैं, लेकिन यह कभी निर्णायक कारक नहीं रहा।
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