तमिलनाडु में भाषा को लेकर चल रहे विवाद के बाद अब महाराष्ट्र में भी भाषा को लेकर राजनीति गरमा गई है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के भैयाजी जोशी के एक बयान ने नए विवाद को जन्म दिया है।
भैयाजी जोशी ने एक कार्यक्रम में कहा था, “मुंबई की अपनी कोई एक भाषा नहीं है। इसलिए मुंबई आना है तो जरूरी नहीं कि मराठी सीखनी पड़े। मुंबई आने वालों को मराठी सीखने की कोई जरूरत नहीं है।”
भैयाजी जोशी के बयान पर मंत्री नितेश राणे ने कहा, “भैयाजी जोशी ने कभी मराठी भाषा का अपमान नहीं किया। उन्होंने बस इतना कहा कि मुंबई एक ऐसा शहर है, जहां विभिन्न राज्यों के लोग रहते हैं और अपनी भाषा बोलते हैं। उन्होंने मराठी भाषा का अपमान नहीं किया। भैयाजी जोशी ने जो कुछ भी कहा, वह किसी भाषा का अपमान नहीं है। पहले उनके बयान को समझना चाहिए और फिर उस पर कोई स्टैंड लेना चाहिए।”
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी के मोहम्मद शमी के रोजा न रखने संबंधी बयान पर मंत्री नितेश राणे ने कहा, “हम इस तरह के कट्टरपंथ के खिलाफ हैं। यह हमारे हिंदू धर्म का हिस्सा नहीं है। हम कहते हैं कि इस्लाम में लिखा है कि या तो आप इस्लाम स्वीकार कर लें, या फिर आपका धर्म परिवर्तन कर दिया जाएगा, या फिर आपको मार दिया जाएगा। अब मोहम्मद शमी भी खुद इसका अनुभव कर रहे हैं। इसलिए हम अपने हिंदू धर्म की प्रशंसा करते हैं, क्योंकि हमारे धर्म में इस तरह का कट्टरपंथ नहीं है।”
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