ज़िला प्रशासन द्वारा पानी निकालने के लिए किए गए उपायों के बावजूद, ज़िले के कई गाँवों में कृषि भूमि का एक बड़ा हिस्सा अभी भी जमा पानी से ढका हुआ है। लंबे समय से जारी जलभराव ने खरीफ़ की फसलों पर कहर बरपाया है, जिससे किसान अपनी आजीविका को लेकर चिंतित हैं।
रविवार को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने बाढ़ प्रभावित गांवों का दौरा कर लोगों की समस्याएं सुनीं और प्रशासनिक अधिकारियों को प्रभावित लोगों को तत्काल राहत पहुंचाने के निर्देश दिए।
हुड्डा ने गांवों के दौरे के दौरान मीडिया से बात करते हुए दावा किया, “भाजपा सरकार की नाकामी के कारण बाढ़ और जलभराव की स्थिति बेहद गंभीर बनी हुई है। लोगों को तुरंत मदद और मुआवजे की ज़रूरत है, लेकिन सरकार ने विशेष गिरदावरी कराने के बजाय प्रभावित लोगों को फिर से पोर्टल पर जाने को कहा है।” किसानों के साथ ट्रैक्टर चलाकर महम और कलानौर विधानसभा क्षेत्रों के बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करने पहुंचे हुड्डा ने कहा कि पूरी खड़ी फसल बर्बाद हो गई है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, “जलभराव की भयावहता को देखते हुए, आगामी फसल की कोई उम्मीद नहीं है। किसानों को प्रति एकड़ कम से कम 60,000-70,000 रुपये का मुआवज़ा मिलना चाहिए। पिछले कई सालों से सरकार मुआवज़ा देने के बजाय पोर्टल का खेल खेल रही है। इसी व्यवस्था के कारण आपदा प्रभावित 90 प्रतिशत लोगों को मुआवज़ा नहीं मिल पाता। जिन किसानों को मुआवज़ा मिलता भी है, उन्हें कई महीनों की देरी का सामना करना पड़ता है।”
उन्होंने कहा कि इसके अलावा, सरकार को लोगों के घरों, दुकानों और अन्य इमारतों को हुए नुकसान का भी मुआवज़ा देना चाहिए। केंद्र सरकार को हरियाणा, पंजाब और हिमाचल प्रदेश जैसे बाढ़ प्रभावित राज्यों के लिए भी राहत पैकेज की घोषणा करनी चाहिए।
हुड्डा ने कहा कि जब 1995 में ऐसी ही बाढ़ आई थी, तो वे तत्कालीन कृषि मंत्री को राज्य में लेकर आए थे। उन्होंने कहा, “उस समय कांग्रेस सरकार ने किसानों को हर तरह के नुकसान का मुआवज़ा दिया था, चाहे वह खेत खलिहान हों, ट्यूबवेल हों, घर-दुकानें हों, या फिर फसलें। मौजूदा सरकार सैटेलाइट तस्वीरों को देखकर पराली जलाने के मामले दर्ज करती है, लेकिन जब मुआवज़ा देने की बात आती है, तो किसानों को पोर्टल पर भेज देती है।” इस बीच, उपायुक्त सचिन गुप्ता ने कहा कि कृषि भूमि से पानी निकालने का काम सुचारू रूप से चल रहा है और प्रशासनिक टीमें लगातार काम कर रही हैं।