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बिहार : नवादा में जातीय समीकरण तय करते हैं चुनाव के परिणाम

Bihar: Caste equations decide the results of elections in Nawada.

नवादा (बिहार), 27 मार्च । ऐतिहासिक और धार्मिक नवादा की धरती शुरू से समृद्ध रही है। झारखंड की सीमा से जुड़े इस संसदीय क्षेत्र का चुनाव परिणाम यहां के जातीय समीकरण तय करते रहे हैं।

इस चुनाव में नवादा सीट पर मुख्य मुकाबला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और विपक्षी महागठबंधन के बीच माना जा रहा है। यह सीट इस बार एनडीए के घटक दल लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के बदले भाजपा के खाते में चली गई है।

भाजपा ने नवादा से भूमिहार समाज से आने वाले विवेक ठाकुर को उम्मीदवार बनाया है जबकि महागठबंधन की ओर से राजद ने श्रवण कुशवाहा को प्रत्याशी बनाते हुए सिंबल भी दे दिया। हालांकि अब तक महागठबंधन की ओर से इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है।

कुशवाहा को सिंबल मिलने के बाद राजद में नाराजगी उभर गई। राजद के नेता विनोद यादव ने पार्टी से इस्तीफा देते हुए चुनाव लड़ने तक की घोषणा कर दी है।

वैसे, देखा जाए तो इस सीट पर एनडीए का दबदबा रहा है। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के भोला सिंह और वर्ष 2014 में गिरिराज सिंह ने जीत का परचम लहराया था। पिछले चुनाव में यह सीट लोजपा के खाते में थी और चंदन सिंह की जीत हुई थी। 2004 के चुनाव में राजद के प्रत्याशी वीरचंद्र पासवान यहां से विजई हुए थे।

कहा जा रहा है कि 2004 के चुनाव परिणाम को देखते हुए है राजद के अध्यक्ष लालू प्रसाद ने यहां से कुशवाहा समाज से आने वाले श्रवण कुशवाहा को सिंबल दिया है।

माना जा रहा है कि भूमिहार के सामने कुशवाहा को उतार कर लालू ने एनडीए को टक्कर देने की भले कोशिश की है, लेकिन इस चक्कर में उनके कुनबे के लोग यानि यादव ही उनके विरोध में उतर आये हैं।

बताया जाता है कि यहां सबसे अधिक मतदाता भूमिहार जाति के हैं और उसके बाद यादवों की संख्या है। भाजपा ने अपने परम्परागत वोट को एकजुट रखने और किसी प्रकार की गुटबाजी को रोकने के लिए भूमिहार जाति से आने वाले विवेक ठाकुर को टिकट थमा दिया।

भाजपा के दिग्गज नेता डॉ. सी.पी. ठाकुर के पुत्र विवेक ठाकुर के जरिए भाजपा भूमिहार और वैश्य मतों की उम्मीद लगाए बैठी है। तय माना जा रहा है कि दोनों गठबंधनों में मुकाबला कड़ा है।

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